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प्रतिबंध के बावजूद नहीं थम रही पैराग्लाइडिंग, घाटी में पेश आ रहे कई हादसे - प्रतिबंध

जिला कुल्लू में प्रशासन ने खराब मौसम के कारण पैराग्लाइडिंग और रिवर राफ्टिंग जैसी गतिविधियों पर रोक लगा रखी है. लेकिन इसके बावजूद पैराग्लाइड्ंग करवाने वाली एजेंसियां आदेशों का पालन नहीं कर रही हैं.

पैराग्लाइडिंग

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Published : Aug 12, 2019, 1:36 PM IST

कुल्लू: जिला कुल्लू में बरसात में खतरे को देखते हुए प्रशासन और विभाग ने साहसिक गतिविधियों जैसे पैराग्लाइडिंग, रिवर राफ्टिंग आदि पर 15 सितंबर तक अधिकारिक रूप से प्रतिबंध लगा दिया है. प्रशासन और विभाग की रोक के बावजूद कुल्लू जिले के मनाली में पैराग्लाइडिंग कार्रवाई की जा रही है. जिससे कई हादसे पेश आ रहे हैं.


प्रशासन के आदेशों की परवाह न कर पैराग्लाइडिंग करवाने वाली एजेंसियां पैसा कमाने में जुटी हुई हैं. एजेंसियां चंद पैसों के लिए पर्यटकों की जान के साथ खिलवाड़ कर रही हैं. कुल्लू जिला की ऊझी घाटी में शनिवार को एक पैराग्लाइडर क्रैश हो गया था. जिससे पर्यटक की मौत हो गई थी. जबकि हादसे में पायलट की हालत अभी भी गंभीर बनी हुई है.


पैराग्लाइडर का यह हादसा पर्यटन नगरी मनाली के शनाग में हुआ. अब जब प्रशासन की ओर से पैराग्लाइडिंग और रिवर राफ्टिंग पर पाबंदी लगाई गई है तो किसकी इजाजत से पैराग्लाइडिंग करवाई जा रही है. इस पर सवाल उठ रहे हैं.
बता दें कि यह विधानसभा क्षेत्र खेल मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर का है. मंत्री के विस क्षेत्र में ही में पैराग्लाइडिंग करने वाले सरकार और प्रशासन के आदेशों को मानने को तैयार नहीं है.


दूसरी ओर बरसात के मौसम में ब्यास नदी का जलस्तर काफी बढ़ जाता है. इसमें रिवर राफ्टिंग व अन्य साहसिक गतिविधियां खतरे से खाली नहीं होती है. बरसात में कुल्लू घाटी में पैराग्लाइडिंग भी काफी खतरनाक है. ऐसे में हर वर्ष कुल्लू जिले में 15 जुलाई से 15 सितंबर तक इन गतिविधियों पर पूरी तरह रोक लगा दी जाती है लेकिन रोक के बावजूद भी कुछ एजेंसियां बाज नहीं आती.


कुल्लू जिला के पर्यटन विकास अधिकारी बीसी नेगी ने बताया कि 15 सितंबर तक साहसिक गतिविधियों पर पाबंदी है. आदेशों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. जिस जगह पर हादसा हुआ है, वहां छानबीन कर इसकी रिपोर्ट तैयार की जाएगी.

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