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कुल्लू: पेट दर्द से बेसुध हुई महिला, लोगों ने कुर्सी पर उठाकर सड़क तक पहुंचाया

उपमंडल बंजार की नवगठित ग्राम पंचायत पेखड़ी के नाहीं गांव में महिला की तबीयत खराब होने पर परिजनों ने महिला को पालकी के सहारे 3 किलोमीटर पैदल चलकर सड़क तक पहुंचाया. नाही गांव में ग्रामीण मूलभूत सुविधाओं से भी वंचित हैं जिस वजह से उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

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Published : Apr 17, 2021, 8:34 AM IST

no road facility
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कुल्लू: उपमंडल बंजार की तीर्थन घाटी के कई दूर दराज क्षेत्र आज तक भी आजादी के सात दशकों बाद तक सड़क और स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं. यहां के लोगों को बीमार होने की हालत में अपना इलाज करवाने के लिए कई किलोमीटर का सफर पहाड़ी रास्तों होकर पैदल तय करना पड़ता है. ऐसा ही एक नजारा तीर्थंन घाटी की दूर दराज नवगठित ग्राम पंचायत पेखड़ी के नाहीं गांव में सामने आया है.

वीडियो.

महिला को पालकी पर उठाकर सड़क तक पहुंचाया

नाहीं गांव की सुजाता मैहता उम्र 29 वर्ष पत्नी रूपेन्द्र कुमार को अचानक पेट में दर्द उठा जिस कारण वह बेहोश हो गई. महिला के परिवारजनों ने काफी घरेलू उपचार करने की कोशिश की, लेकिन सुजाता का दर्द कम नहीं हुआ. गांव में कोई स्वास्थ्य सुविधा ना होने के कारण दिन के समय ग्रामीणों ने बीमार सुजाता को तीन किलोमीटर पैदल पहाड़ी रास्ते से पालकी में उठाकर पेखड़ी सड़क मार्ग तक पहुंचाया, जहां से उसे निजी वाहन द्वारा इलाज के लिए बंजार ले जाया गया.

स्वास्थ्य और सड़क सुविधाओं से बेहाल ग्रामीण

ग्रामीणों ने कहा कि पहले भी इस तरह की अनेकों घटनाएं घट चुकी हैं. हर वर्ष दर्जनों मरीजों को इलाज के लिए सड़क मार्ग तक पैदल पहुंचाना पड़ता है. इस तरह की स्वास्थ्य संबंधी इमरजेंसी होने पर सैकड़ों ग्रामीणों को बहुत कठिनाई का सामना करना पड़ता है. इस क्षेत्र से पढ़ाई करने वाले छात्र-छात्राओं को हाई स्कूल और इससे आगे की पढ़ाई करने के लिए प्रतिदिन करीब दो से पांच घंटे तक का सफर पैदल तय करना होता है. लोगों का कहना है कि स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर यहां कोई भी दवाखाना या सरकारी डिस्पेंसरी नहीं है. लोगों को सर्दी जुकाम की दवा लेने के लिए भी करीब 5 किलोमीटर का पैदल सफर करके पहाड़ी रास्तों से होकर गुशैनी पहुंचना पड़ता है. यहां पर सभी पहाड़ी रास्ते कच्चे बने हुए हैं और खतरनाक स्थानों पर कोई सुरक्षा इंतजाम भी नहीं है.

जल्द होगा सड़क का निर्माण

ग्रामीणों का कहना है कि लोक निर्माण विभाग द्वारा इनके गांव के लिए सड़क का निर्माण कार्य तो शुरू कर रखा है लेकिन एक किलोमीटर ट्रैस निकालने के बाद अब काम ठप पड़ा है जिस कारण लोगों में भारी रोष है. ग्रामीणों ने मांग की है कि इस सड़क के निर्माण कार्य को गति दी जाए और उनके गांव में स्वास्थ्य उपकेंद्र खोला जाए ताकि लोगों को शीघ्र ही इन कठिनाइयों से निजात मिल सके.

वहीं, लोक निर्माण विभाग उपमंडल बंजार के सहायक अभियन्ता रोशन लाल ठाकुर का कहना है कि नगलाड़ी नाला से नाहीं घाट लाकचा प्रस्तावित सड़क को सरकार से स्वीकृति मिल चुकी है और टैंडर प्रक्रिया पूरी होते ही एक माह बाद कार्य को सुचारू रूप से शुरू किया जाएगा. उन्होंने कहा कि अभी तक करीब एक किलोमीटर सड़क निर्माण कार्य राज्य सरकार के मदद से किया गया है.

सुविधाओं की कमी से लोग परेशान

बता दें कि तीर्थन घाटी की नवगठित ग्राम पंचायत पेखड़ी के सैकड़ों लोग आज भी कई मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं. ग्राम पंचायत पेखड़ी कहने को तो विश्व धरोहर ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क का प्रवेश द्वार है, जहां पर जैविक विविधता का अनमोल खजाना छिपा पड़ा है. यहां प्रतिवर्ष सैकड़ों की संख्या में अनुसंधानकर्ता, प्राकृतिक प्रेमी, पर्वतारोही, ट्रैकर और देशी विदेशी सैलानी घूमने फिरने का लुत्फ उठाने के लिए आते हैं. लेकिन इस क्षेत्र के सैकड़ों बाशिंदे आजतक आजादी के सात दशक बाद भी विकास से कोसों दूर हैं.

यहां के लोग अभी तक सड़क, रास्तों, पानी, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी कई मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं. नोहाण्डा पंचयात से अलग हुई पेखड़ी पंचायत के गांव दारन, शूंगचा, घाट, लाकचा, नाहीं, बाईटी, शालींगा, टलींगा, नडाहर, लुढार और गदेहड़ आदि गांव के सैंकड़ों लोग अभी तक सरकार और प्रशासन से उम्मीद लगाए बैठे हैं कि कब उनकी दहलीज तक भी सड़क पहुंच जाए. यहां के लोग अभी तक अपनी पीठ पर बोझ ढोने को मजबूर हैं.

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