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मलाणा गांव को अब तक नहीं छू पाया कोरोना संक्रमण, ग्रामीणों ने लागू किए हैं सख्त नियम

विश्व के सबसे पुराने लोकतंत्र कहे जाने वाले मलाणा गांव में अब तक कोरोना का कोई मामला सामने नहीं आया है. ऐसा इसलिए क्योंकि यहां के लोगों ने कोरोना को देखते हुए सख्त नियम लागू किए हैं. इस गांव में बाहर से आने वाले लोगों पर प्रतिबंध लगाया गया है. दूसरे गांव के लोग भी मलाणा गांव के मुख्य गेट पर ही मिलते हैं.

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Published : May 18, 2021, 8:05 PM IST

कुल्लू:देश भर में कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ता जा रहा है. वहीं, सरकारें भी कोरोना संक्रमण पर काबू पाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है. हालांकि कुछ जगहों पर लोगों की सजगता भी काम आ रही है और इन इलाकों को कोरोना का संक्रमण आज तक छू नहीं पाया है. ऐसा ही एक गांव मलाणा भी इस कड़ी में शुमार है. यहां आज तक कोरोना संक्रमण का एक भी मामला सामने नहीं आया है. ग्रामीणों ने पिछले साल ही कोरोना महामारी के दौरान यहां बाहरी लोगों के प्रवेश पर पाबंदी लगा दी थी जिसका नतीजा यह निकला कि आज भी मलाणा गांव का कोई भी ग्रामीण कोरोना से संक्रमित नहीं हुआ है.

कोरोना के चलते एचआरटीसी की एकमात्र बस सेवा बंद

कोरोना काल में मलाणा के बाशिंदों ने बाहरी लोगों और पर्यटकों पर इस गांव में आने पर रोक लगा रखी है. 2,350 आबादी वाले इस गांव में देवता जमलू (जमदग्नि ऋषि) का कानून चलता है. गूर के माध्यम से जो देवता जमलू आदेश देते हैं, उसी को माना जाता है. यहां के बाशिंदे खुद को सिकंदर का वंशज मानते हैं. मलाणा गांव के लिए एचआरटीसी की एकमात्र बस सेवा है. कोरोना के चलते वह भी एक साल बाद इसी वर्ष अप्रैल में चली थी लेकिन अब यह बस फिर से बंद है.

कड़े नियमों की वजह से अब तक कोरोना का कोई मामला नहीं

आसपास के गांवों के लोगों से भी यहां के लोग गांव के मुख्य गेट के बाहर ही मिलते हैं. पिछले अप्रैल से गांव में बाहरी लोगों को प्रवेश नहीं है. मलाणा पंचायत के पूर्व प्रधान भागी राम और उपप्रधान राम जी ने कहा कि गांव में अभी तक कोरोना का कोई केस नहीं आया है. लोग अपने स्तर पर कोरोना से निपट रहे हैं और उन पर देवता जमलू का पूरा आशीर्वाद है. पंचायत प्रधान राजू राम ने कहा कि कोरोना काल में गांव के लोग भी किसी आपात स्थिति में ही गांव से बाहर निलते हैं जबकि बाहरी लोगों का गांव के प्रवेश प्रतिबंधित है.

क्या है मलाणा गांव का इतिहास

कहा जाता है कि महान शासक सिकंदर अपनी फौज के साथ मलाणा क्षेत्र में आया था. भारत के कई क्षेत्रों पर जीत हासिल करने और राजा पोरस से युद्ध के बाद सिकंदर के कई वफादार सैनिक जख्मी हो गए थे. सिकंदर खुद भी थक गया था और वह घर वापस जाना चाहता था लेकिन ब्यास तट पार कर जब सिकंदर यहां पहुंचा तो उसे इस क्षेत्र का शांत वातावरण बेहद पसंद आया. वह कई दिन यहां ठहरा. जब वह वापस गया तो उसके कुछ सैनिक यहीं ठहर गए और बाद में उन्होंने यहीं अपने परिवार बनाकर यहां गांव बसा दिया.

इस गांव में यदि कोई अपराध करता है तो उसे सजा कानून नहीं बल्कि देवता जमलू देते हैं. देवता गूर के माध्यम से अपना आदेश सुनाते हैं. भारत का कोई भी कानून या पुलिस राज यहां नहीं चलता. अपनी इसी खास परंपरा, रीति-रिवाज और कानून के चलते इस गांव को दुनिया का सबसे पुराना लोकतंत्र कहा जाता है.

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