कुल्लू:हिमाचल अपनी देव पंरपराओं के लिए दुनिया भर में मशहूर है. देव परंपराओं से लाखों लोगों की आस्था जुड़ी है. प्रदेश में आज भी कई ऐसे स्थान हैं जो असुरों, बुरी शक्तियों, नर भक्षियों के संहार की दास्तां बयां करते हैं. जब इन बुरी शक्तियों ने मानवता पर कहर ढाया और नरसंहार की इंतहा हो गई तो दैवीय शक्तियों ने इनका नाश कर डाला. ऐसा ही एक स्थान कुल्लू जिले की सैंज घाटी की ऊंची पहाड़ी पर मौजूद है, जिसका नाम रक्तिसर है.
इस जगह पर हजारों वर्षों पूर्व देवी महाकाली ने राक्षस रक्तबीज का संहार किया था. उसके बाद से इस जगह को रक्तिसर नाम से जाना जाता है. यहां तालाब है और उसका पानी आज भी सुर्ख लाल रंग का है. दैवीय आशीर्वाद से अब यह जगह तीर्थ स्थल है. इस जगह पर प्रत्यक्ष प्रमाण आज भी देखने को मिलते हैं और यहां एक स्थान पर मिट्टी का रंग भी लाल है. इसकी सतह से निकलने वाले पानी का रंग भी लाल है. कहते हैं कि इसी जगह पर रक्तबीज का शव दबाया गया है. लाल रंग का पानी इस जगह से निकलने के पीछे यही कारण लोग बताते हैं.
स्थानीय लोगों के अनुसार पूर्व में इसका नाम रति था, लेकिन बाद में यह रक्तिसर नाम से कहलाया जाने लगा. किंवदंती के अनुसार इस स्थान पर महाकाली के हाथों रक्तबीज नामक राक्षस का वध हुआ था. रक्तबीज को ब्रह्मा से वरदान प्राप्त था कि उसके वध करने पर जितनी खून की बूंदें धरती पर गिरेंगी, उतने ही रक्त बीज पैदा होंगे. अपनी शक्ति पर घमंड करते हुए रक्तबीज ने पाप के रास्ते पर चलना नहीं छोड़ा. इससे देवी-देवता काफी दुखी हो गए. उससे छुटकारा पाने के लिए देवताओं ने अपनी शक्ति मां काली को देकर रक्तबीज का अंत करने की योजना बनाई.
मां काली ने अपने दिव्य अस्त्रों द्वारा रक्तबीज का पीछा करके रक्ति नामक स्थान पर भयंकर युद्ध किया. मां काली ने अपने खड़ग से रक्तबीज का वध करके खून को धरती पर नहीं गिरने दिया और सारा खून पी डाला. काल का चक्र धीरे-धीरे चलता गया और कुछ समय के बाद इस स्थान पर स्थित सरोवर का पानी खून की तरह लाल हो गया, जिस कारण इस स्थान को रक्तिसर के नाम से जाना जाने लगा. धार्मिक स्थल रक्तिसर के भीतर आज भी छोटे-छोटे जलाशय बने हुए हैं.
रक्तिसर के मध्य में एक स्थान ऐसा भी है, जहां पुरातन घटना का साक्षात प्रमाण देखने को मिलता है, वहां की कुछ भूमि अभी भी लाल रंग की है. वहीं निचली सतह से निकलने वाला पानी भी खून की तरह लाल है. माना जाता है कि इस सरोवर के नीचे रक्तबीज का शव दबाया गया है, जिस कारण यहां से लाल रंग का पानी निकलता है.