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पर्यटन सीजन शुरू होने से पहले मनाली में मीटिंग, SP ने DC को दिया Suggestion

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Published : Mar 31, 2019, 11:19 AM IST

कुल्लू में पर्यटन सीजन की शुरूआत के चलते उपायुक्त की अध्यक्षता में बैठक हुई. इस दौरान यातायात को सुचारू और सुव्यवस्थित करने का मुद्दा छाया रहा और जिला प्रशासन का भी इस मुद्दे को हल करने पर मुख्य फोकस रहा.

पर्यटन सीजन शुरू होने से पहले मनाली में मीटिंग

कुल्ल: पर्यटन सीजन-2019 शुरू होने से पूर्व आवश्यक तैयारियों को लेकर जिला प्रशासन द्वारा मनाली में बैठक का आयोजन किया गया. बैठक में सभी विभागों के अधिकारी, सड़क सीमा संगठन और राष्ट्रीय उच्च मार्ग प्राधिकरण के अधिकारी, टैक्सी एसोसियेशन, होटल एसोसियेशन व विभिन्न हितधारकों ने भाग लिया.
पुलिस अधीक्षक शालिनी अग्निहोत्री ने इस बार रोहतांग के दोनों ओर के यातायात को एक-तरफा करने का सुझाव दिया है जिसपर सभी हितधारकों को सहमति बनी है. मनाली से रोहतांग के पार लाहौल-स्पिति की ओर जाने वाले निजी वाहनों के लिए सुबह सात बजे से पूर्व का समय निर्धारित किया गया है. हालांकि निजी वाहन दोपहर तक भी जा सकेंगे, लेकिन उन्हें जाम लगने की असुविधा का सामना करना पड़ सकता है.

पर्यटन सीजन शुरू होने से पहले मनाली में मीटिंग

बैठक की अध्यक्षता करते हुए उपायुक्त यूनुस यातायात नियमों या परमिट से जुड़े मानदण्डों की उल्लंघना करने पर सख्त दिखे. उन्होंने कहा कि रोहतांग पर लाहौल-स्पिति के लिए वाहन की अनुमति लेकर रोहतांग से वापस लाने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी. वाहन को जब्त कर लिया जाएगा और परमिट भी रद्द किया जा सकता है. इसी प्रकार, निजी वाहनों में सैलानियों को लाने-ले-जाने के खिलाफ भी सख्ती से निपटा जाएगा. हालांकि परमिट ऑन-लाइन जारी किए जा रहे हैं.
सैलानियों को रोहतांग की ओर ले-जाने वाली टैक्सियों को केवल दोपहर 12 बजे तक मनाली से जाने की अनुमति होगी और रोहतांग से वाहनों को वापस मनाली की ओर बाद दोपहर 2 बजे के बाद छोड़ा जाएगा. इस प्रकार यह व्यवस्था एक-तरफा होगी और पर्यटन सीजन जब पीक पर हो, उस समय लागू रहेगी.
गौरतलब है कि सीजन के दौरान प्रतिदिन रोहतांग की ओर 1300 वाहनों को जाने की अनुमति प्रदान की जाती है. भारी बर्फबारी के बाद सड़क की हालत खराब होने और यातायात के इतने दबाव के चलते लगभग हर रोज लंबा जाम लगना स्वाभाविक है. इससे बाहरी प्रदेशों व देशों से आए सैलानियों के साथ-साथ स्थानीय लोगों को भी बड़ी असुविधा का सामना करना पड़ता है. हर साल जिला प्रशासन के लिए चुनौतिपूर्ण इस समस्या से निपटने के लिए नए-नए तौर-तरीके सुझाए जाते हैं, लेकिन कोई पुख्ता हल नहीं निकल पाता है.

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