कुल्लू: जिला कुल्लू के प्राचीन और ऐतिहासिक गांव राख के ढेर पर है. दर्जनों अग्निकांड की घटनाएं होने के बावजूद लोग जागरूक नहीं हो रहे है. यहां पर आग लगने का प्रमुख कारण घरों में रखा घास व लकड़ियां हैं.
छोटी सी चिंगारी ही गांव को राख के ढेर में तबदील कर देती हैं. अब तक इन अग्निकांडों में कई गांव, प्राचीन मंदिर व भवन राख हो चुके हैं, लेकिन सरकार और प्रशासन भी इस तरह के बड़े अग्निकांड पर रोक नहीं लगा पा रहे हैं.
कुल्लू के कई ऐतिहासिक गांवों पर अब भी खतरे के बादल हैं. कुल्लू का मलाणा अग्निकांड आज भी किसी को भूला नहीं है. कुल्लू जिला के ज्यादातर मकान काष्ठकुणी शैली के बने हैं. इसमें कुल्लू के आनी, मनाली, बंजार, निरमंड आदि क्षेत्र शामिल हैं.
बीते साल सैंज घाटी के शैंशर गांव में भी घर जल गए थे. इसमें शंगचूल महादेव का मंदिर भी शामिल था. जिला के कई गांव ऐसे हैं जहां पर आज भी पानी के भंडारण के लिए कोई भी व्यवस्था नहीं है. इन गांवों में हलकी सी आग की चिंगारी भी सब कुछ पलभर में राख कर सकती है.