कुल्लू: सनातन धर्म में सावन माह का विशेष महत्व है. सावन को सनातन धर्म भगवान शिव के महीने के रूप में धूमधाम से मनाया जाता है. वहीं, सावन माह के हर मंगलवार को मां मंगला गौरी के व्रत का भी विशेष महत्व है. मंगला गौरी व्रत से भक्तों को मां गौरी का आशीर्वाद प्राप्त होता है और सभी मनोकामना पूरी होती हैं. वहीं, मंगला गौरी का व्रत करने से कुंडली में अगर मंगल दोष हो या फिर मंगल ग्रह खराब हो तो उससे भी निजात मिलती है.
सावन में किया जाता है व्रत: मां मंगला गौरी के साथ-साथ भगवान हनुमान की पूजा करने से भी कुंडली में मंगल अपनी शुभ स्थिति बनाता है. अबकी बार अधिक मास होने के चलते श्रावण मास भी बढ़ गया है और मंगला गौरी व्रत की तारीख भी बढ़ गई है. सावन में हर मंगलवार के दिन मंगला गौरी का व्रत किया जाएगा. बता दें की मंगला गौरी व्रत केवल सावन माह के समय ही किया जाता है. जब महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए माता मंगला से प्रार्थना करती हैं.
मंगला गौरी व्रत की तारीख. मिलता है अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद: आज भी (8 अगस्त) मंगला गौरी का व्रत किया जाएगा. इस दिन श्रद्धालुओं द्वारा मां दुर्गा की विशेष पूजा आराधना की जाएगी. मंगला गौरी व्रत करने से जहां विवाहित महिलाओं को अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है तो वहीं, कुंवारी कन्याओं के भी जल्द विवाह के योग बनते हैं.
व्रत पूजा की विधि: मंगला गौरी व्रत के दिन महिलाएं सुबह उठकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें. उसके बाद शिव मंदिर में जाकर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें. पूजा करने के लिए शिवलिंग पर जल चढ़ाएं और पूजा सामग्री में अक्षत, कुमकुम, फल-फूल के साथ सोलह श्रृंगार की वस्तुएं भी मां पार्वती को अर्पित करें. महिलाएं पूजा आराधना करने के बाद अपने पति की लंबी आयु की कामना करें. मंगला गौरी व्रत का पारण अगले दिन यानी कि बुधवार को किया जाता है.
मंगला गौरी व्रत का महत्व. व्रत से पूरी होती हैं सब मनोकामनाएं: आचार्य पुष्पराज का कहना है कि इस व्रत में मंगला गौरी की कथा सुनी जाती है. भगवान शिव और माता पार्वती का सच्चे मन से ध्यान करने पर शुभ फल प्राप्त होता है. इस व्रत को करने से अगर कुंडली में मंगल का बुरा प्रभाव आ रहा हो तो वह भी सही हो जाता है. इसके अलावा महिलाएं मां पार्वती के मंत्र का भी जाप कर सकती हैं. इस व्रत को करने से महिलाओं के पति की आयु लंबी होती है और दांपत्य जीवन में भी खुशहाली आती है. संतानहीन दंपति भी मंगला गौरी व्रत के माध्यम से संतान सुख की प्राप्ति कर सकते हैं.
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