कुल्लू:हिमाचल प्रदेश में हर साल लाखों की संख्या में सैलानी यहां की प्राकृतिक सुंदरता का नजारा लेने के लिए आते हैं. प्राकृतिक सुंदरता के साथ-साथ यहां के जंगल बेशकीमती जड़ी बूटियों से भी भरे हुए हैं. ऐसे में पर्यटक हिमालय की जड़ी बूटियों की ओर खूब आकर्षित होते हैं. लेकिन कई बार सही ज्ञान न होने के चलते पर्यटक ठगी का भी शिकार हो जाते हैं. ऐसे में हिमाचल प्रदेश के विभिन्न पर्यटन स्थलों पर केसर और शिलाजीत बेचने वाले लोगों की भीड़ देखने को मिल रही है. वहीं, पर्यटकों की अज्ञानता का फायदा लेकर कुछ लोग नकली शिलाजीत व केसर भी उन्हें बेच देते हैं. जिससे पर्यटक तो ठगी का शिकार होता ही हैं, बल्कि देव भूमि की शांत छवि को भी इससे ठेस पहुंचती है.
ऐसा ही एक मामला लाहौल घाटी से भी सामने आया है, जहां ग्रामीणों ने नकली केसर और शिलाजीत की बड़ी खेप जब्त की है. लाहौल घाटी के ग्रामीण टशी ने बताया कि पर्यटन स्थल सिस्सू में प्रवासी लोग नकली दवा, केसर, शिलाजीत पर्यटकों को बेच रहे हैं. लाहौल के लोगों का कहना है कि मनाली में नकली शिलाजीत व केसर बचने का अवैध कारोबार दशकों से चल रहा है, लेकिन अटल-टनल बनने के बाद पर्यटन स्थल सिस्सू में भी यह कारोबार शुरू हो गया है. इन कारोबारियों को लोगों ने कई बार आगाह किया, लेकिन वे अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं.
ग्रामीण ने कहा कि ये प्रवासी लोग अपने को मनाली का स्थायी निवासी बताकर हिमालय की जड़ी-बूटियों के नाम से नकली दवाई बेचते हैं. वहीं, बीते दिनों ग्रामीणों ने इनकी नकली दवाइयों को आग के हवाले कर दिया और उन्हें चेतावनी देकर छोड़ दिया. ग्रामीणों ने बताया कि स्थानीय युवाओं ने पर्यटकों को ठगे जाने से बचाने की मुहिम शुरू की है. अब स्थानीय युवा ऐसे लोगों पर नजर रखते हैं और अगर कोई नकली केसर, शिलाजीत व दवाइयां बेचता पाया जाता है तो उस पर कार्रवाई की जाती है. उन्होंने बताया कि इन प्रवासी लोगों ने मनाली के आधार कार्ड भी बनाए हैं. आधार कार्ड दिखा कर ये लोग खुद को मनाली का बताते हैं और पर्यटकों को हिमालय को केसर, शिलाजीत व जड़ी बूटियों से बनी लोकल दवाएं बता कर ठग रहे हैं. वहीं, ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग उठाई है कि ऐसे लोगों पर नकेल कसी जाए, ताकि हिमाचल में नाम खराब न हो.
ऐसे करें नकली-असली की पहचान:आयुर्वेदा विभाग से सेवानिवृत्त अधिकारी डॉ. अशोक शर्मा का कहना है कि पर्यटक व स्थानीय लोग शिलाजीत की अपने स्तर पर भी पहचान कर सकते हैं. अगर असली शिलाजीत को जलते हुए कोयले के ऊपर रखे तो इससे धुंआ नहीं उठेगा और यह बहना शुरू हो जाएगा. वहीं, उसे जीभ पर रखे तो इसका स्वाद काफी कड़वा होता है तो यह समझ लें कि यह शिलाजीत असली है. इसके अलावा शिलाजीत को अगर पानी में डाल दें तो वह तार की तरह फैलते हुए पानी मे घुल जाता है. इस तरह से असली शिलाजीत की पहचान की जा सकती है.