कुल्लू:लला मेमे फाउंडेशन के उपाध्यक्ष डॉ चंद्रमोहन परशीरा ने बताया कि पश्चिमी हिमालय के विख्यात इतिहासकार एवं विद्वान छेरिंग दोरजे के अकस्मात निधन से हिमालयी समाज को अपूरणीय क्षति हुई है. उन्होंने कहा कि छेरिंग दोरजे हिमालय के जीते जागते नालंदा थे, जिन्होंने अपने धर्म, इतिहास, संस्कृति, भाषा, बनस्पति विज्ञान आदि अनेकों विषयों पर असीमित ज्ञान के प्रकाश से कई दशकों तक मानव समाज की सेवा की है.
छेरिंग दोरजे ने पूर्व मंत्री एवं चुनाव आयुक्त एमएसगिल से लेकर विख्यात चित्रकार शोभा सिंह एवं निकोलस रोरिक तक परिवारों का लंबे समय तक विभिन्न विषयों पर मार्गदर्शन किया. उन्होंने हिमालयी क्षेत्र में अनेकों बौद्ध भिक्षुओं को धार्मिक साधना में भी बहुत मदद की, जिसका उदाहरण 12 साल लाहौल की एक गुफा में ध्यानस्थ रह कर विश्वभर में विख्यात हुई इंग्लैंड निवासी भिक्षुणी जेतसुनमा टशी पल्मो है.
परशीरा ने कहा कि ऐसे महापुरुष का जाना एक पूरा इतिहास जाने के बराबर है और उनकी ज्ञान साधना की धारा को अविरल रखने के लिए लला मेमे फाउंडेशन अगले साल से इतिहास, भोटी भाषा, पर्यटन एवं भूगोल आदि विषयों में विशेष पदक एवं छात्रवृत्ति शुरू करेगा. इसके साथ हिमालयी ज्ञान और इतिहास पर आधारित एक शोद्ध केंद्र की भी शुरुआत की जाएगी.