कुल्लू: अटल टनल के बनने से जहां सीमा पर तैनात सैनिकों को मदद मिलेगी. वहीं, जिला लाहौल स्पीति के लाहौल घाटी के किसानों के लिए भी यह उम्मीद बनकर सामने आई है. लाहौल के किसानों को अब अपने उत्पाद बाहरी मंडियों तक पहुंचाने में सुविधा मिलेगी.
लाहौल घाटी में इन दिनों लोग अपने कृषि के कामों में व्यस्त हैं. लाहौल में अब जल्द ही सर्दियां दस्तक देने वाली हैं और लोग इससे पहले अपने कृषि के कामों को पूरा करने में जुटे हुए हैं. किसान इन दिनों आलू की फसल निकालने में जुटे हुए हैं.
लाहौल घाटी में भी बाहरी राज्यों के व्यापारियों ने अपनी दस्तक देनी शुरू कर दी है. किसानों को खेतों में ही लाहौल के आलू के बेहतर दाम मिल रहे हैं, जिससे किसान काफी खुश हैं. लाहौल घाटी में आलू कई दशकों से आर्थिकी का एक मजबूत जरिया है. वहीं, अब आलू की कई किस्में भी लाहौल में उगाई जा रही हैं.
किसानों का कहना है कि अब घाटी में आलू की कई किस्में उगाई जा रही हैं और इससे किसानों को भी काफी लाभ मिल रहा है. पहले रोहतांग दर्रा से गाड़ियों के माध्यम से आलू बाहर की मंडियों में पहुंचाए जाते थे. इसमें पैसा व समय काफी बर्बाद होता था, लेकिन अब टनल के बनने से किसान बाहरी मंडियों तक आसानी से आलू ले जा सकेगा.
किसानों का कहना है कि इस बार उन्हें आलू की फसल के अच्छे दाम मिल रहे हैं और कई प्रकार की आलू भी लाहौल घाटी में उगाए जा रहे हैं. टनल के बनने से घाटी के किसानों को अब नुकसान नहीं होगा.
गौर रहे कि लाहौल घाटी में विदेशी सब्जियों का उत्पादन भी किसानों की ओर से किया जा रहा है और यहां उगाए जाने वाले फूलों को भी सीधे दिल्ली मंडी में सप्लाई किया जाता है. टनल बनने से अब किसान 12 माह बाहरी मंडियों से जुड़े रह सकेंगे.
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