कुल्लू : सफर के दौरान पीने के पानी की बोतल आपने भी खरीदी होगी. 20 से 30 रुपये एक लीटर पानी की बोतल पर खर्च करना आपको भी चुभता होगा. कई लोग इसके लिए सरकार पर भी सवाल उठाते हैं लेकिन कुछ साल पहले एक ऐसी सरकारी योजना भी आई, जिसके तहत कई शहरों में वाटर एटीएम लगाए गए थे. जिससे मात्र एक या दो रूपये में आरओ का साफ पीने का पानी उपलब्ध करवाने की योजना थी. कुछ रेलवे स्टेशन या शहरों में ये वाटर एटीएम आज भी मौजूद हैं लेकिन हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में लगे वाटर एटीएम महज शोपीस बनकर रह गए हैं.
2018 में लगे थे वाटर एटीएम-केंद्र सरकार की अमृत योजना के तहत नगर परिषद कुल्लू के द्वारा परिषद के एरिया में शुद्ध पानी उपलब्ध करवाने के लिए 11 वाटर एटीएम स्थापित किए गए थे लेकिन उनका सही तरीके से संचालन न होने के चलते अब सभी वाटर एटीएम मात्र शोपीस बने हुए हैं. ये 11 एटीएम कुल्लू के 11 वार्डों में लगाए गए थे. अमृत योजना के तहत ये वाटर एटीएम लगाए गए थे और पहले वाटर एटीएम का उद्घाटन तत्कालीन मंडी सांसद स्व. रामस्वरूप शर्मा ने किया था.
कुल्लू में शोपीस बने वाटर एटीएम 33 लाख हुए थे खर्च- अमृत योजना के तहत कुल्लू नगर परिषद क्षेत्र में 33 लाख की लागत से 11 वाटर एटीएम लगाए गए थे. जिन्हें बस अड्डा, जिला कोर्ट, बाजार, ढालपुर मैदान जैसे भीड़ भाड़ वाले इलाकों में लगाया गया था ताकि लोगों को नाममात्र की कीमत अदा करने पर साफ पेयजल उपलब्ध हो सके.
1 रुपये में एक लीटर पानी-वाटर एटीएम लगाने का मकसद बहुत ही कम कीमत पर पेयजल उपलब्ध करवाना था. इस मशीन में सिक्का डालकर पानी ले सकते थे. इस मशीन से एक रुपये प्रति लीटर के हिसाब से पानी ले सकते थे. हालांकि 20 लीटर पानी लेने पर सिर्फ 15 रुपये खर्च करने पड़ते. लेकिन आज ये वाटर एटीएम सिर्फ शोपीस बने खड़े हैं, आज 33 लाख से अधिक खर्च करने के बाद भी आम लोगों को इसका कोई फायदा नहीं मिल रहा है.
कुल्लू में 33 लाख की लागत से लगे थे 11 वाटर एटीएम क्या कहते हैं स्थानीय लोग- साल 2019 तक कुल्लू में कुल 11 वाटर एटीएम लग चुके थे. लेकिन शुरुआती कुछ दिनों के बाद मशीनें खराब हो गई और नगर परिषद ने भी इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया. स्थआनीय निवासी दिलीप कुमार कहते हैं कि अगर इन वाटर एटीएम का सही से संचालन होता तो गर्मियों के मौसम में लोगों को एक रुपये में पानी मिल सकता था लेकिन सिस्टम की बदौलत ऐसा नहीं हो पाया. रोशन ठाकुर कहते हैं कि शहर के ज्यादातर लोग तो ऐसे होंगे जिन्होंने इन मशीनों को हमेशा से खराब ही देखा. ज्यादातर लोग तो इस बात से अनजान होंगे कि शहर में ऐसी मशीनें भी काम करती थी जिनमें एक रुपये डालने पर एक लीटर पीने का पानी मिलता था. ऐसा इसलिये क्योंकि शुरुआती चंद दिनों के बाद से मशीनें ऐसे ही खड़ी हैं.
तत्कालीन मंडी सांसद रामस्वरूप शर्मा ने किया था वाटर एटीएम का उद्घाटन कुछ वाटर एटीएम रिपेयर करवाए गए हैं और शहर से हटाकर स्कूल और अस्पताल में दिए गए हैं. शहर में जहां कभी वाटर एटीएम लगे होते थे उस जगह का इस्तेमाल अब लोग सामान या कबाड़ रखने के लिए करते हैं तो कुछ वाटर एटीएम अब भी जस के तस खड़े तो हैं लेकिन किसी काम के नहीं हैं. रमेश चंद का कहना है कि नगर परिषद और सरकारी विभागों के उदासीन रवैये के कारण एक अच्छी खासी योजना धरी की धरी रह गई और जनता की गाढ़ी कमाई का 33 लाख रुपये बर्बाद हो गया. अभी भी अगर इनकी सुध ली जाए तो जनता को इसका फायदा हो सकता है.
'रिपेयर करने के लिए बजट नहीं'- साल 2018 में नगर परिषद कुल्लू के द्वारा अमृत योजना के तहत इन वाटर एटीएम स्थापित किए गए लेकिन उचित रखरखाव न होने के चलते इनकी हालत खराब हो गई. नगर परिषद ने इतने सालों तक वाटर एटीएम का रखरखाव नहीं किया और अब जल शक्ति विभाग ने भी वाटर एटीएम को रिपेयर करने का आकलन भी भेज दिया है. वहीं जल शक्ति विभाग ने नगर परिषद को दो टूक जवाब दिया है कि अब इन्हें रिपेयर करने के लिए विभाग के पास बजट नहीं है.
नगर परिषद बनाम जल शक्ति विभाग- इस पूरे मामले में वाटर एटीएम का मसला नगर परिषद और जल शक्ति विभाग के बीच झूल रहा है. दोनों एक दूसरे के सिर टोपी पहना रहे हैं. जल शक्ति विभाग के एसडीओ अंकित बिष्ट का कहना है कि यह वाटर एटीएम नगर परिषद के उदासीनता के कारण इस हाल में हैं. जल शक्ति विभाग ने 4 वाटर एटीएम को रिपेयर का स्कूल और अस्पताल में शिफ्ट किया है लेकिन बाकी अभी भी खराब पड़े हैं. ऐसे में नगर परिषद कुल्लू को भी इस बारे अवगत करवाया गया है. वही नगर परिषद कुल्लू के कार्यकारी अधिकारी बीआर नेगी ने बताया कि वाटर एटीएम को ठीक करने की जिम्मेदारी जल शक्ति विभाग की है और इस मामले को भी वही देखेंगे. नगर परिषद कुल्लू इन वाटर एटीएम को अन्य जगहों पर शिफ्ट करने पर भी विचार कर रही है.
जहां होता था वाटर एटीएम, वहां अब सामान और कबाड़ रखा जाता है कुल मिलाकर जो वाटर एटीएम शहर के व्यस्त इलाकों में लोगों को एक रुपये में पीने का पानी उपलब्ध करने के लिए लगाए गए थे. उनकी सुध किसी ने नहीं ली तो अब 11 में से 4 को स्कूल और अस्पताल में लगाया जा रहा है. बाकी बचे 7 वाटर एटीएम भी सरकारी सिस्टम के भरोसे हैं. करीब 33 लाख रुपये खर्च करके लगाए गए ये वाटर एटीएम अब सिर्फ शोपीस बने हुए हैं अगर वक्त पर फैसला नहीं लिया गया तो बचे हुए वाटर एटीएम कबाड़ में तब्दील हो जाएंगे.
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