कुल्लू:हिमाचल प्रदेश में आई प्राकृतिक आपदा के चलते जहां हजारों करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ है. वहीं, करोड़ों रुपए का पर्यटन कारोबार भी ठप हो गया है. ऐसे में अब एक बार फिर सरकार पर्यटन गतिविधियों को शुरू करने जा रही है, ताकि पर्यटन कारोबारियों को इसका फायदा मिल सके. मगर खराब मौसम के चलते हालात बुरी तरह से बिगड़े हैं. जिन्हें संभालने के लिए सरकार को भी खासा वक्त लगने वाला है.
कुल्लू में शुरू होगी रिवर राफ्टिंग! हिमाचल प्रदेश 15 सितंबर से हिमाचल प्रदेश में साहसिक गतिविधियों पर लगी रोक को खोल दिया जाएगा. जिला कुल्लू में रिवर राफ्टिंग की गतिविधियां भी शुरू हो जाएगी. जुलाई महीने में ब्यास नदी में आई बाढ़ के चलते, जहां राफ्टिंग पॉइंट बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं, तो वहीं, नदी में भी भारी मलबा जमा हो गया है. ऐसे में अब राफ्टिंग संचालकों को भी खासी दिक्कतों का सामना करना होगा.
राफ्टिंग स्ट्रेच के लिए ब्यास नदी में होगी रेकी: जिला कुल्लू में विभिन्न स्थानों पर रिवर राफ्टिंग की गतिविधियां आयोजित करवाई जाती हैं. ब्यास नदी में आई बाढ़ के चलते अब एक बार फिर से पर्यटन विभाग को राफ्टिंग का स्ट्रेच तैयार करना होगा. पहले ब्यास नदी में जहां से राफ्ट गुजरती थी, वहां पर या तो मलबा आ गया है या फिर लैंडस्लाइड के चलते वह स्ट्रेच क्षतिग्रस्त हो गया है. इसके लिए अब पर्यटन विभाग द्वारा तैयारी कर ली गई है. पर्यटन विभाग द्वारा तकनीकी कमेटी का गठन किया जाएगा. कुछ दिनों के बाद तकनीकी कमेटी द्वारा फिर से ब्यास नदी में राफ्टिंग स्ट्रेच बनाने के लिए रेकी की जाएगी. वहीं, अगर यह स्ट्रेच सही पाया गया तो 15 सितंबर से रिवर राफ्टिंग की गतिविधियां शुरू कर दी जाएंगी.
चुनौतियों से भरी होगी रिवर राफ्टिंग: जिला कुल्लू पर्यटन विभाग ने इस बारे में अटल बिहारी वाजपेयी पर्वतारोहण संस्थान मनाली को राफ्टिंग स्ट्रेच पास करने के लिए पत्र लिखा है. संस्थान के द्वारा कमेटी का गठन किया जाएगा और उसके बाद राफ्टिंग स्ट्रेच की जांच की जाएगी. स्ट्रेच की जांच करने के बाद नए सिरे से अधिसूचना जारी की जाएगी. ब्यास नदी में अब जगह-जगह बड़े-बड़े पत्थर हैं और नदी ने भी अब रुख मोड़ दिया है. जिसके चलते राफ्टिंग करना भी अब आसान नहीं होगा.