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विकास के फोरलेन ने मंदा किया धंधा, सीजन में भी खाली पड़े हैं कुल्लू के होटल, जानें वजह

कुल्लू मनाली का नाम सुनते ही सुंदर पहाड़ों का नजारा और वहां मौजूद पर्यटकों की भीड़ याद आती है. लेकिन कुल्लू में पर्यटन सीजन में भी होटल खाली पड़े हैं और ऐसा हुआ है एक विकास परियोजना के कारण, जो इस इलाके के लिए मानो मंदी बनकर आई है. क्या है पूरा मामला, जानने के लिए पढ़ें....

विकास के फोरलेन ने मंदा किया धंधा
विकास के फोरलेन ने मंदा किया धंधा

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Published : May 10, 2023, 9:13 AM IST

विकास के फोरलेन ने मंदा किया धंधा

कुल्लू:सड़क या हाइवे को विकास का पैमाना माना जाता है, कहते हैं कि किसी भी क्षेत्र में विकास की पहचान वहां की सड़कें होती हैं और विकास फिर इसी सड़क के रास्ते उस क्षेत्र की तस्वीर बदल देता है. लेकिन किरतपुर-मनाली फोरलेन हाइवे ने कुल्लू शहर समेत कई इलाकों के लिए रोजी रोटी का संकट खड़ा कर दिया है. इस फोरलेन के कारण कुल्लू का पर्यटन कारोबार मंदी झेल रहा है.

विकास के फोरलेन ने मंदा किया धंधा

डायरेक्ट मनाली पहुंच जाते हैं टूरिस्ट-दरअसल इस फोरलेन का एक बड़ा हिस्सा कुल्लू से गुजरता है जिसे बजौरा मनाली फोरलेन के नाम से जाना जाता है. इस मखमली हाइवे पर गाड़ियों की रफ्तार मानो गाड़ी हवा से बात कर रही हो लेकिन रफ्तार के इस हाइवे ने कुल्लू के पर्यटन कारोबार को मंदा कर दिया है. ये फोरलेन हाइवे कुल्लू के आउटर एरिया से गुजरता है और पर्यटकों को चंद मिनटों में सीधा मनाली पहुंचाता है. जिसके कारण कुल्लू शहर से लेकर मोहल, रामशिला, भुंतर, ढालपुर जैसे इलाकों तक नाममात्र के पर्यटक पहुंच रहे हैं. फोरलेन बनने से पहले मनाली जाने वाला हर पर्यटक बजौरा से भुंतर, शमशी, मोहल, कुल्लू और रामशिला होते हुए मनाली पहुंचता था. जिससे इस पूरे इलाके में पर्यटन कारोबार फल फूल रहा था.

सीजन में भी खाली पड़े हैं कुल्लू के होटल

पर्यटन कारोबारी परेशान-कुल्लू में करीब 80 होटल, गेस्ट हाउस, होम स्टे हैं, जो अब सेलानियो के ना आने से सुनसान हो गए हैं. इसी सड़क मार्ग पर भुंतर, गांधीनगर, अखाड़ा बाजार, ढालपुर में कई ट्रैवल एजेंसी हैं. इनके कारोबार पर भी असर पड़ा है. इसके अलावा टैक्सी से लेकर ढाबे और दुकानें चलाने वाले भी प्रभावित हुए हैं. हर साल कुल्लू जिले में 35 से 40 लाख पर्यटक आते हैं लेकिन ज्यादातर सीधे मनाली पहुंच रहे हैं. आलम ये है कि मई महीने में भी होटल खाली पड़े हुए हैं. जबकि मैदानी इलाकों में गर्मियों की छुट्टियां होने के कारण ये पर्यटन सीजन होता है.

सीजन में कम पहुंच रहे पर्यटक

धंधा मंदा है-कुल्लू के होटल कारोबारी नवनीत सूद का कहना है कि फोरलेन बनने के बाद यहां पर पर्यटन कारोबार को काफी नुकसान हुआ है. होटल बनाने में लाखों-करोड़ों का खर्च आता है लेकिन सीजन के दौरान भी होटल खाली चल रहे हैं और स्टाफ को सैलरी देने तक में दिक्कत आ रही है. ट्रैवल एजेंसी चलाने वाले अभिनव वशिष्ठ कहते हैं कि चंडीगढ़ के रास्ते कुल्लू आने वाले पर्यटक फोरलेन के सहारे सीधे मनाली पहुंच रहे हैं और फिर वहीं से टैक्सी, बस या हवाई जहाज का टिकट कटाकर वापस लौट रहे हैं. मनाली से अलग कुछ पर्यटक मणिकर्ण और बंजार का रुख करते हैं और फिर वापस लौट जाते हैं. जिसके कारण कुल्लू के होटल, ट्रैवल एजेंसी समेत तमाम पर्यटन कारोबार में मानो मंदी आ गई है.

कैसे सुधरेगा कुल्लू का पर्यटन कारोबार

कैसे सुधरेगा कुल्लू का पर्यटन कारोबार-कुल्लू में राफ्टिंग और पैराग्लाइडिंग होती है. इसके अलावा कुछ पर्यटक ट्रैकिंग के लिए भी कुल्लू आते हैं. जिलेभर में पैराग्लाइडिंग और ब्यास नदी में राफ्टिंग की साइट्स बढ़ाई जा रही हैं. पर्यटन कारोबारियों के मुताबिक सरकार को कुल्लू में पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ-साथ इन एडवेंचर एक्टिविटीज का ज्यादा से ज्यादा प्रमोशन करना चाहिए.

पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए क्या हो रहा है- कुल्लू जिले के पर्यटन विभाग की अधिकारी सुनैना शर्मा का कहना है कि पीज की पहाड़ी से ढालपुर मैदान के लिए राफ्टिंग गतिविधियां शुरू की गई हैं और अब सैलानी भी यहां का रुख कर रहे हैं. आने वाले दिनों में कुल्लू शहर होते हुए ब्यास नदी में राफ्टिंग भी की जाएगी. इसके अलावा बिजली महादेव रोपवे का निर्माण कार्य भी जल्द शुरू किया जाएगा और लग घाटी में भी कई स्थलों को विकसित करने की दिशा में कार्य किया जा रहा है.

कुल्लू में पर्यटन संभावनाएं-कुल्लू में राफ्टिंग, पैराग्लाइडिंग या ट्रैकिंग जैसी एडवेंचर एक्टिविटीज के अलावा धार्मिक पर्यटन की भी अपार संभावनाए हैं. भगवान शिव का प्रसिद्ध बिजली महादेव मंदिर कुल्लू की खराहल घाटी में है. यहां रोवपे निर्माण की प्रक्रिया भी शुरू की गई है. इसके अलावा रघुनाथ मंदिर और कुल्लू दशहरा यहां की पहचान है. इसके अलावा लग घाटी में भी गोरु डूग में भी स्कीइंग के लिए बेहतर ढलान है. जहां स्कीइंग गतिविधियों को बढ़ावा दिया जा सकता है.

साथ ही कुल्लू का खान-पान, संस्कृति और हैंडलूम भी काफी मशहूर है. कुल्लवी टोपी और शॉल कुल्लू की शान है और यहां कि देव परंपराएं कुल्लू को देवभूमि की जड़ों से जोड़े रखती है. कुल्लू में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सरकार को इन सभी का प्रचार प्रसार करना होगा ताकि पर्यटक कुल्लू का रुख करें. देश के गिने-चुने स्थानों पर पैराग्लाइडिंग और रिवर राफ्टिंग होती है, जिसमें कुल्लू भी शामिल है. इसे भुनाने के लिए सरकार को जरूरी कदम उठाने होंगे.

इन गतिविधियों को बढ़ावा देकर उन पर्यटकों का रुख भी कुल्लू जैसे पर्यटन केंद्रों की ओर किया जा सकता है जो फोरलेन के सहारे 10 मिनट में बजौरा से रामशिला पहुंच जाते हैं. पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा देने पर सैलानियों के कुल्लू, भुंतर, मोहल, ढालपुर जैसे इलाकों तक पहुंचने की उम्मीद है. कुल्लू में मौजूद पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा देने के साथ-साथ स्कीइंग जैसी नई पर्यटन गतिविधियों के सहारे भी इस इलाके के पर्यटन कारोबार को गति मिल सकती है.

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