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Kalashtami 2023: 5 नवंबर को मनाई जाएगी कालाष्टमी, जानें पूजा विधि और शुभ मुहूर्त - काल भैरव

Kalashtami 2023: 5 नवंबर को देशभर में अष्टमी तिथि के दिन कालाष्टमी भी मनाई जाएगी. इस दिन भगवान भैरव की पूजा की जाती है. भगवान भैरव की पूजा करने वाले साधकों को भय और शत्रुओं से मुक्ति मिलती है. जानें कब है पूजा का शुभ मुहूर्त, कौन सी चीजें पूजा में होगीं शामिल.....

Kalashtami 2023
कालाष्टमी 2023

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Nov 4, 2023, 1:26 PM IST

Updated : Nov 4, 2023, 2:21 PM IST

कुल्लू:देश भर में 5 नवंबर को अष्टमी तिथि के दिन कालाष्टमी भी मनाई जाएगी. कालाष्टमी के दिन भगवान भैरव की पूजा अर्चना करने का भी विधान शास्त्रों में दिया गया है. ऐसे में कार्तिक मास की अष्टमी तिथि को भगवान भैरव के मंदिरों में विशेष पूजा अर्चना का भी आयोजन किया जाता है. इस दिन साधक गंगा स्नान कर महाकाल की पूजा अर्चना कर भय और शत्रुओं से मुक्ति पाते हैं.

कालाष्टमी का मुहूर्त: हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी 5 नवंबर को मनाई जाएगी. यह अष्टमी देर रात 12:59 से शुरू होगी. अगले दिन 6 नवंबर को देर रात 3:18 पर इस अष्टमी का समापन होगा. ऐसे में साधक 5 नवंबर के दिन काल भैरव की पूजा दिन में कभी भी कर सकते हैं. कुल्लू के आचार्य आशीष कुमार का कहना है कि कार्तिक मास की कालाष्टमी तिथि पर साधक सुबह उठकर गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें. उसके बाद व्रत का संकल्प लें.

5 नवंबर 2023 को कालाष्टमी

पूजा में अवश्य शामिल करें ये चीजें: हालांकि काल भैरव की पूजा रात के समय की जाती है. ऐसे में रात के समय भगवान काल भैरव की पूजा अवश्य करें. इसके अलावा दिन के समय में भी काल भैरव की पूजा की जानी चाहिए. काल भैरव की पूजा में फल-फूल, बेल, पत्र, धतूरा, धूप, दीप, दूध, दही भी अवश्य होनी चाहिए. वहीं, पूजा के दौरान शिव चालीसा, भैरव कवच का पाठ और मंत्र का जाप अवश्य करें. पूजा के अंत में भगवान काल भैरव से अपनी सुख समृद्धि की प्रार्थना करें.

अष्टमी तिथि पर बन रहे 2 योग: वहीं, अष्टमी तिथि के दिन शुक्ल योग भी बन रहा है. शुक्ल योग में जो भी साधक भगवान कृष्ण की पूजा करता है।, उसे अमोघ फल मिलता है. शुक्ल युग 5 नवंबर को दोपहर 1:37 से लेकर 6 नवंबर को 2:27 तक रहेगा. इसके अलावा सर्वार्थ सिद्धि योग का भी कालाष्टमी के दिन निर्माण हो रहा है. इस योग का निर्माण सुबह 6:36 से शुरू होकर दोपहर 10:29 तक रहेगा. इस दौरान भी जो साधक काल भैरव की पूजा करते हैं. उनके सारे काम सफल होते हैं और उन्हें सिद्धि भी मिलती है.

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Last Updated : Nov 4, 2023, 2:21 PM IST

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