कुल्लू:हिमाचल के पहाड़ों पर इन दिनों जंगल बुरांश के फूलों से मनमोहक एवं आकर्षक बने हुए हैं. फरवरी, मार्च और अप्रैल महीने में खिलने वाले बुरांश के फूलों का इन क्षेत्रों में रहने वाले ग्रामीण लोग विभिन्न बीमारियों में औषधि के रूप में भी प्रयोग करते हैं. इसके अलावा बुरांश के फूल की तासीर ठंडी होने के कारण इसका जूस (Buransh flowers in kullu) भी बनाया जाता है. करीब 14 मीटर तक की लंबाई वाले ये वृक्ष ढलानदार भूमि में पाए जाते हैं. बुरांश के फूल देखने में जितने सुंदर होते हैं, उतने ही स्वास्थ्यवर्धक भी माने जाते हैं.
कुल्लू जिले के ऊंचाई वाले इलाकों में भी इन दिनों जंगल बुरांश (Buransh juice benefits) के फूलों से खिल गए हैं. यह फूल अब ग्रामीण क्षेत्र में आजीविका का साधन बन गए हैं. ग्रामीण जंगलों से इन फूलों को इकट्ठा करके ला रहे हैं और भुट्टी में एचपीएमसी के फल विधायन केंद्र में इसका जूस भी तैयार किया जा रहा है. हिमाचल में बुरांश के 3 प्रकार के फूल पाए जाते हैं, जिनमें गुलाबी, लाल और सफेद फूल शामिल हैं. इनमें लाल फूलों का औषधीय महत्व अधिक माना जाता है. लोग इसे लिवर, किडनी रोग के अलावा खूनी दस्त और बुखार आदि के दौरान भी प्रयोग करते हैं. बुरांश के फूलों में मिथेनॉल होता है, जोकि डायबिटीज के लिए भी उत्तम माना जाता है.