आनी/कुल्लू:ओला अवरोधक जाली यानी एंटी हेल नेट बागवानों के लिए एक उम्मीद का नाम है. सेब की फसल को प्रकृति की ओलावृष्टि जैसी मार से बचाने के लिए प्रदेश के बागवान इस नेट को सेब के बगीचे पर बिछाते हैं. बागवानों के सामने जो बड़ी चुनौती होती है वो ये कि ये उनकी जेब पर भारी पड़ती है, लेकिन वर्तमान जयराम सरकार ने संवेदनशीलता का परिचय दिखाया है और इस पर बागवानों को 80 फीसदी अनुदान दे रही है. कुल लागत का 80 फीसदी पैसा सरकार बागवानों को सब्सिडी के रूप में देती है. एंटी हेल नेट स्टेट स्कीम के तहत लाभ हर पात्र बागवान को मिले, इसे भी सरकार सुनिश्चित कर रही है. यही कारण है कि सेब बहुल क्षेत्रों में उपमंडल स्तर पर बागवानों को इस योजना का लाभ मिल रहा है.
उपमंडल में एंटी हेल नेट के लिए बागवानों को 12.22 करोड़ की सब्सिडी
कुछ ऐसा ही लाभ बीते तीन सालों में आनी उपमंडल के बागवनों को भी मिला है. वर्ष 2018-19, 2019-20 और 2020-21 में बागवानी विभाग ने उपमंडल में एंटी हेल नेट के लिए बागवानों को 12.22 करोड़ की सब्सिडी प्रदान की है. वर्ष 2018-19 में बागवानी विभाग आनी ने 1.75 करोड़ रुपए 207 बागवानों को सब्सिडी के तौर पर वितरित किए. इस तरह तीन सालों में कुल 1476 बागवानों को एंटी हेल नेट के लिए सरकार द्वारा 12.22 करोड़ रुपए की सब्सिडी प्रदान की गई. बागवानी विभाग आनी के विषय विशेषज्ञ उद्यान डॉ. केएल कटोच का कहना है कि प्रदेश सरकार के दिशा निर्देशों के तहत समय समय पर बागवानों को अनुदान राशि जारी की जा रही है. आगामी समय में भी विभाग इसके लिए प्रयासरत है ताकि पात्र और जरूरतमंद बागवानों को इसका लाभ मिले.
सब्सिडी मिलने के पश्चात गदगद हैं बागवान
आनी उपमंडल के 1476 बागवानों को सब्सिडी मिलने के बाद ओलावृष्टि से फसल बचने की उम्मीदों को पंख लगे हैं. आनी वैली ग्रोवर एसोसिएशन के सदस्यों एवं च्वाई के बागवान महेंद्र वर्मा और रणजीत अमरबाग के राकेश ठाकुर, जाबन के वीरेंद्र परमार को इस योजना के तहत अनुदान मिला है. उनका कहना है कि ये योजना बागवानों की फसल को बचाने के लिए कारगर योजना है. उन्होंने इस योजना के तहत अनुदान जारी करने के लिए प्रदेश सरकार का आभार जताया है और बागवानों से इस योजना का लाभ उठाने की अपील की है.
क्या है ये योजना ?