कुल्लू:हिमाचल प्रदेश में सरकार के द्वारा भूमिहीनों को दो या तीन बिस्वा भूमि उपलब्ध करवाने की योजना तो बनाई है, लेकिन वह योजना धरातल पर साकार होती नजर नहीं आ रही है. हिमाचल प्रदेश में हजारों भूमिहीनों के द्वारा इस भूमि के लिए आवेदन किया गया है, लेकिन सरकार के पास भूमि उपलब्ध न होने के चलते उन्हें भूमि नहीं मिल पा रही है. ऐसे में यह योजना अब सरकार के गले की फांस बनती जा रही है.
3900 लोगों ने किया था आवेदन, 3300 पाए गए अपात्र:जिला कुल्लू की अगर बात करें तो यहां पर भी 600 लोगों ने इस योजना का फायदा उठाने के लिए आवेदन किया है. सरकार के द्वारा जब उन लोगों के दस्तावेजों की जांच की गई तो वह सभी इस योजना के लिए पात्र पाए गए. ऐसे में अब सरकार के लिए यह मुश्किल पेश आ रही है कि शहर में दो और ग्रामीण क्षेत्रों में तीन विस्वा भूमि देने के लिए जिन लोगों ने आवेदन किया है. उन्हें आखिर कहां से भूमि उपलब्ध करवाई जाएगी. कुल्लू जिले में 3900 लोगों ने आवेदन किया था. जिनमें से 3300 लोग इस योजना में अपात्र पाए गए हैं.
जमीन तो बहुत है, लेकिन सरकार के पास अपनी भूमि काफी कम है: गौर रहे कि हिमाचल प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय वीरभद्र सिंह की सरकार के द्वारा यह फैसला लिया गया था कि प्रदेश में जो लोग भूमिहीन हैं. उन्हें सरकार के द्वारा भूमि उपलब्ध करवाई जाएगी. ऐसे में जिला कुल्लू में अब तक 28 लोगों को ही भूमि उपलब्ध हो पाई है. राजस्व विभाग और प्रशासन के द्वारा जिला कुल्लू में 34 लोगों की सूची तैयार की गई है जो भूमि लेने के हकदार हैं, लेकिन कई सालों से उन्हें नहीं मिल पा रही है. इसका सबसे बड़ा कारण है कि हिमाचल प्रदेश में वन भूमि ज्यादा है और प्रशासन, विभाग और सरकार के पास अपनी भूमि काफी कम है. वन भूमि को किसी निजी व्यक्ति को नहीं दिया जा सकता है. जिसके चलते भूमिहीनों को भूमि देने की योजना सरकार के गले की फांस बन रही है.