कुल्लू:अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव में भाग लेने के लिए कुल्लू जिले के देवी-देवताओं के कारकूनों के द्वारा भी तैयारी की जा रही है. वहीं, नवरात्रि में देवी-देवताओं के रथ व अन्य वाद्य यंत्रों को सजाने का काम भी शुरू कर दिया गया है. नवरात्रि की सप्तमी व अष्टमी के दिन देवी देवता ढालपुर मैदान की और रवाना हो जाएंगे और नवमी की शाम तक पूरा ढालपुर मैदान देवी देवताओं के रथ से सज जाएगा. अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव में दूर-दूर से देवी देवता भाग लेने के लिए पहुंचते हैं.
देवी-देवताओं की संपत्ति:वहीं, अगर बात करें कुल्लू के देवी-देवताओं की संपति की तो यहां के देवी-देवता करोड़ों रुपए की संपत्ति के मालिक हैं. देवी-देवता कारदार संघ के महासचिव टीसी महंत का कहना है कि कई देवी-देवताओं के पास इतनी दौलत है कि जिसे सालों तक खर्च किया जाए तो भी कम न हो. देवी-देवताओं के रथों में करोड़ों रुपए के आभूषण व मोहरे लगे हुए हैं. हालांकि सुरक्षा को देखते हुए देवी-देवता के कारकूनों द्वारा देवता के खजाने का खुलासा नहीं किया जाता है, लेकिन देव रथ में लगे हुए सोने-चांदी के मोहरे व अन्य सामान से इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि कुल्लू जिले के देवी-देवता कितनी संपत्ति के मालिक हैं.
हर साल बढ़ रही संपत्ति: महासचिव टीसी महंत ने बताया कि देवी-देवताओं की संपत्ति में हर साल इजाफा हो रहा है. इस इजाफा के पीछे का कारण देवी-देवताओं को हर साल मिलने वाला चढ़ावा भी है. जिसके चलते जिला कुल्लू के देवालय भी चोरों की नजर में रहते हैं. जिला कुल्लू के देवी-देवताओं की बात करें तो माता हिडिंबा, खराहल घाटी के बिजली महादेव, आउटर सिराज के देवता खुडीजल सहित अन्य कई ऐसे देवी देवता हैं, जिनके पास आज भी कई बीघा जमीन है और बड़ी मात्रा में सोने चांदी के आभूषण हैं.
देवी-देवताओं के सेब के बगीचे: वहीं, देवी देवताओं के नाम पर जो जमीन है, उस पर सेब के बगीचे लगे हुए हैं. हर साल देवता की कमेटी द्वारा इन सेब के बगीचों की नीलामी की जाती है. उससे होने होने वाली आमदनी को हर साल देव कार्यों पर खर्च किया जाता है. जिसके चलते देवता के हरियानो पर कोई बोझ नहीं पड़ता है. जिला कुल्लू के प्रमुख देवी देवताओं की संपत्ति करोड़ों रुपयों में दर्ज की गई है.