कुल्लू:कोरोना संक्रमण के इस दौर में आइसोलेशन और क्वारंटाइन यह दो शब्द तेजी से उभरकर सबके सामने आए हैं. कोरोना वायरस से बचने के लिए सरकार और स्वास्थ्य विभाग उन सभी लोगों को क्वारंटाइन की सलाह दे रहा है जो विदेश या किसी दूसरे राज्य से आते हैं. यात्रा के दौरान संक्रमण के दौर से गुजरे संबंधित व्यक्ति को भी 14 दिन तक देखभाल में रखा जाता है. इस दौरान उसे आवश्यक उपचार और डॉक्टर की सलाह दी जाती है.
प्रत्येक जिले में जगह-जगह पर क्वारंटाइन सेंटर बनाए गए हैं. इसके अलावा होम क्वारंटाइन के लिए भी कोई व्यक्ति अपने घर के कमरे का चुनाव कर सकता है. स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से एक एडवाइजरी जारी कर इसके बारे में लोगों को जानकारी दी गई. दरअसल होम क्वारंटाइन एक लैटिन का शब्द है. इसका मूल अर्थ 40 दिन का समय है. इसका मतलब संगरोध, संगरोधन, किनारे पर आने से रोकना और अस्पताल का अलग कमरा भी है.
दरअसल पुराने समय में जहाजों में यात्रियों को जहाज पर लदे माल में रोग प्रसारण होने का संदेह होता था. तो वह जहाज को बंदरगाह से दूर 40 दिन रहना पड़ता था. ग्रेट ब्रिटेन में फैली प्लेग की बीमारी रोकने के प्रयास के रूप में इस व्यवस्था की शुरूआत हुई थी. अभी तक के मामलों को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग का मानना है कि वायरस को फैलने से रोकने में होम क्वारंटाइन काफी अहम साबित हुआ है। अगर किसी व्यक्ति को जरा सा भी शक हो तो वह घर पर 14 दिन के लिए क्वारन्टीन हो सकता है। 14 दिन का समय निकल जाता हैं तो वह व्यक्ति दोबारा से अपनी लाइफ जी सकता है. वहीं, आईसीएमआर के डॉक्टरों का कहना है कि ऐसा करने से वायरस के संक्रमण से काफी हद तक बचा जा सकता है.