कुल्लू: भारत सरकार सीमांत गांवों को विकसित करने के लिए वाइब्रेंट विलेज योजना पर काम कर रही है. जिसके तहत हिमाचल प्रदेश के लाहौल स्पीति जिले में भी 20 गांवों का चयन किया गया है. स्पीति घाटी के ये सभी 20 गांव चीन सीमा के साथ लगे हुए हैं. इस योजना के तहत इन गांवों में ही सभी मूलभूत सुविधाएं जुटाई जाएगी. ताकि लोग यहां से पलायन ना कर सके. वही, इस योजना के तहत स्पीति घाटी का कौरिक गांव एक बार फिर से बसेगा.
1975 में भूकंप में बर्बाद हुआ था कौरिक गांव:स्पीति घाटी का कौरिक गांव में साल 1975 में भूकंप के कारण भारी भूस्खलन हुआ था. जिससे गांव में काफी नुकसान हुआ था. उसे दौरान वहां पर 33 परिवार रहते थे और आपदा में सब कुछ खोने वाले परिवारों ने स्पीति के एक अन्य इलाके में ही डेरा डाल दिया. हालांकि इस दौरान केंद्र सरकार ने सभी प्रभावित परिवारों को गांव चंडीगढ़ के सेक्टर 13 में बसाने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन ग्रामीणों ने अपनी जन्म भूमि को छोड़ने से मना कर दिया था. ऐसे में सभी प्रभावित परिवारों ने स्पीति में ही चंडीगढ़ नाम से एक जगह पर अपना घर बार बनाया. जो चीन सीमा से महज 60 किलोमीटर दूर है. आज इस गांव को चंडीगढ़ सेक्टर 13 का नाम दिया गया है. वहीं, अब कौरिक गांव को एक बार फिर से वाइब्रेट विलेज योजना बसाने का तैयारी की जा रही है. कौरिक गांव में सरकार सभी प्रकार की सुविधा उपलब्ध करवाएगी, जिससे विस्थापित लोग एक बार फिर से अपने मूल गांव लौट सकेंगे.
पलायन को रोकने के लिए गांवों का होगा कायाकल्प: दरअसल सुविधाओं के अभाव में सीमावर्ती क्षेत्रों से लोग तेजी से पलायन कर रहे हैं. इसी पलायन को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने वाइब्रेट विलेज योजना की शुरुआत की है. पहले चरण में केंद्र सरकार ने योजना में चीन सीमा से सटे लाहौल स्पीति जिले के लालूंग, ग्यु और किन्नर के चौरा गांव को शामिल किया है. कौरिक समेत स्पीति उपमंडल के 20 गांव इस योजना के लिए चयनित किए गए हैं. सीमावर्ती क्षेत्र के लोगों को बेहतर मोबाइल नेटवर्क सुविधा भी उपलब्ध करवाई जाएगी. जिसके लिए बीएसएनएल के 4G टावर लगाए जा रहे हैं. इसके अलावा इन गांवों में सड़क, शिक्षा और स्वास्थ्य का ढांचा विकसित किया जाएगा. यहां कृषि बागवानी और पर्यटन को भी बढ़ावा दिया जाएगा. सेना और भारत तिब्बत सीमा पुलिस भी इसमें सहयोग करेगी.