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कुल्लू में शिक्षकों ने शुरू की नई पहल, घर-घर जाकर बच्चों को करवा रहे पढ़ाई

कुल्लू के दलाश क्षेत्र के चार सरकारी स्कूल ग्राहणा, शगोगी, दलाश और सोईधार के अध्यापकों ने कोरोना से निपटने के लिए अनूठी पहल शुरू की है. सरकार की शिक्षा के प्रति प्रतिबद्धता को आगे बढ़ाते हुए और अध्यापकों ने नैतिक जिम्मेदारी समझते हुए महामारी की इस चुनौती के बीच कलस्टर बनाकर घर-घर जाकर छात्रों की पढ़ाई को जारी रखा है.

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Published : Aug 21, 2020, 3:35 PM IST

कुल्लू: कोरोना महामारी के दौरान जहां छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हुई है, अभिभावक भी बच्चों की पढ़ाई को लेकर परेशान हैं. वहीं, जिला कुल्लू के दलाश क्षेत्र के चार सरकारी स्कूलों के अध्यापकों ने इस समस्या से निपटने के लिए अनूठी पहल शुरू की है.

सरकार की शिक्षा के प्रति प्रतिबद्धता को आगे बढ़ाते हुए ग्राहणा, शगोगी, दलाश, सोईधार स्कूलों के अध्यापकों ने नैतिक जिम्मेदारी समझते हुए. कोरोना महामारी की इस चुनौती के बीच कलस्टर बनाकर घर-घर जाकर छात्रों की पढ़ाई को जारी रखा है.

गांव में बच्चों को पढ़ाते अध्यापक

करीब दो सप्ताह से कलस्टर बनाकर बच्चों को पढ़ाया जा रहा है. अध्यापकों के आपसी समन्वय, ऑनलाइन एक दूसरे से सामंजस्य बिठाकर छात्रों को पढ़ाई के लिए प्रेरित किया जा रहा है. तमाम सरकारी दिशा निर्देशों की अनुपालना करते हुए, सामजिक दूरी बनाकर और मास्क पहनकर छात्रों का मार्गदर्शन अध्यापक कर रहे हैं.

कुल्लू में शिक्षकों ने शुरू की नई पहल

कलस्टर के तहत स्थानीय अध्यापक जिस गांव के निवासी हैं. उस गांव के छात्रों और इसके साथ-साथ लगते गांव के छात्रों का होम वर्क देखने, ऑनलाइन सामग्री ढूंढने में सहायता करने, छात्रों और अभिभावकों को दिशा निर्देश देने, छात्रों को मोबाइल की लत से बचाने के लिए टिप्स देना जैसे काम कर रहे हैं.

हफ्ते के सातों दिन जारी है बच्चों की पढ़ाई

एक दिन में एक या दो कलस्टर के अध्यापक घर-घर जाकर इस मुहिम को सिरे चढ़ा रहे हैं. पूरे सप्ताह विभिन्न कलस्टर के अध्यापक तय तिथि और निर्धारित दिन के हिसाब से इस कार्य को अंजाम तक पहुंचा रहे हैं. सभी कलस्टर सोमवार से लेकर रविवार तक यह कार्य कर रहे हैं.

किसी कलस्टर में आने वाले गांव में दो या तीन अलग-अलग स्कूलों के छात्र हैं. सभी छात्रों की पढ़ाई और मॉनिटरिंग का जिम्मा क्लस्टर के तहत आने वाले अध्यापकों के हवाले है. यदि दलाश स्कूल के छात्र सोईधार, शगोगी या किसी अन्य कलस्टर में आ रहे हों, तो उसी कलस्टर के अध्यापकों द्वारा तमाम छात्रों की पढ़ाई की जिम्मेदारी ली गई है.

चाहे अध्यापक उक्त चार स्कूलों में से किसी भी स्कूल में तैनात क्यों न हो. संबंधित अध्यापक जो भी विषय पढ़ाता है. वह अन्य अध्यापकों के साथ समन्वय बनाकर होम वर्क और अन्य कार्य को चेक कर रहे हैं. यही नियम सभी कलस्टर के अध्यापकों के लिए बनाया गया है. अध्यापकों ने इस संबंध में सात अगस्त को बैठक कर दिशा-निर्देश तय किए हैं. इसके बाद सभी अध्यापक अपने-अपने कलस्टर में लगातार घर-घर जाकर छात्रों की पढ़ाई करवा रहे हैं.

अध्यापक वाट्सएप के माध्यम से दिए गए होम वर्क को कर रहे हैं चेक :

इस कार्य के लिए अध्यापकों का आपसी समन्वय भी काबिलेतारीफ है. अध्यापक वाट्सएप के माध्यम से दिए गए होम वर्क को चेक कर रहे हैं या फिर संबंधित अध्यापक से फोन के माध्यम से संपर्क कर जानकारी साझा कर रहे हैं. इतना ही नहीं इस सारे काम की मॉनिटरिंग भी की जा रही है. दलाश स्कूल के प्रधानाचार्य धर्मपाल और प्रवक्ता प्रेमजीत चौहान इस कार्य के लिए तैनात किए गए हैं.तमाम अभिभावकों का कहना है कि सिर्फ ऑनलाइन पढ़ाई कारगर नहीं है. उन्होंने अध्यापकों घर-घर जाकर छात्रों को पढ़ाने के काम की प्रशंसा की है.

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