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5 साल बाद भी प्रदर्शन करने को मजबूर FOURLANE प्रभावित, चुनावी खेल बिगाड़ सकता है इनका समीकरण - Land Acquisition Act 2013

कीरतपुर मनाली फोरलेन प्रोजेक्ट (Fourlane affected Samiti Kullu) से जहां किरतपुर से मनाली का सफर सुहाना होने जा रहा है, तो वहीं इस फोरलेन में सैकड़ों लोगों के घर भी उजड़े हैं. हालांकि सरकार द्वारा लोगों को उनकी जमीनों का मुआवजा तो दिया गया, लेकिन चार गुना मुआवजे की मांग आज भी बरकरार है. उस मांग को लेकर फोरलेन संघर्ष समिति लगातार प्रयास कर रही है. वहीं, चुनाव में इनका समीकरण खेल भी बिगाड़ सकता है...

फोरलेन प्रभावित
फोरलेन प्रभावित

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Published : Oct 16, 2022, 5:39 PM IST

कुल्लू:कीरतपुर मनाली फोरलेन प्रोजेक्ट (Fourlane affected Samiti Kullu) से जहां किरतपुर से मनाली का सफर सुहाना होने जा रहा है, तो वहीं इस फोरलेन में सैकड़ों लोगों के घर भी उजड़े हैं. हालांकि सरकार द्वारा लोगों को उनकी जमीनों का मुआवजा तो दिया गया, लेकिन चार गुना मुआवजे की मांग आज भी बरकरार है. उस मांग को लेकर फोरलेन संघर्ष समिति लगातार प्रयास कर रही है. वहीं, बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों ने अभी तक इस मुद्दे का कोई समाधान नहीं निकाला है.

2024 का लक्ष्य, 197 KM की दूरी: इस प्रोजेक्ट का कार्य साल 2014 में शुरू हुआ था और साल 2024 तक इस कार्य को खत्म करने का लक्ष्य रखा गया है. इस प्रोजेक्ट का एक बड़ा हिस्सा हिमाचल से होकर गुजरेगा. पंजाब के किरतपुर से हिमाचल प्रदेश के मनाली तक इस प्रोजेक्ट की लंबाई 197 किलोमीटर होगी. नेशनल हाइवे 21 के इस हिस्से को फोरलेन किया जाएगाय इस प्रोजेक्ट के तहत 37 बड़े पुल, 14 टनल और 3 जगह टोल प्लाजा होंगे. मनाली के बाद इस फोरलेन को लेह तक विकसित किया जाएगा. (Demads of Fourlane affected people in kullu).

फोरलेन प्रभावित.

5 चरणों में पूरा होगा प्रोजेक्ट: हिमाचल में इस प्रोजेक्ट को पांच चरणों में पूरा किया जाएगा. पहला चरण किरतपुर-नेरचौक, दूसरा चरण नेरचौक-पंडोह, तीसरा चरण पंडोह-टकोली, चौथा चरण टकौली-कुल्लू, पांचवा चरण कुल्लू-मनाली होगा. इस प्रोजेक्ट के बनने से कई फायदे हैं. सबसे पहले तो किरतपुर से मनाली के बीच की दूरी 232 किलोमीटर की दूरी घटकर 195 किलोमीटर हो जाएगी. इसके अलावा किरतपुर से मनाली तक के सफर में 3 घंटे कम लगेंगे. अच्छी सड़क बनने से ईंधन की खपत और उसपर होने वाला खर्च भी कम होगा.

इस प्रोजेक्ट के बनने से सालाना औसतन 900 से 1000 करोड़ रुपये के ईंधन की बचत होगी. इस पर वाहन आसानी से हवा से बातें तो करेंगे ही साथ प्रदूषण में भी कमी आएगी. सड़क अच्छी होने से हादसों में कमी और वाहनों के रख रखाव या मरम्मत में होने वाले खर्च में भी कमी आएगी. औसतन ईंधन खपत और वाहनों की मरम्मत के खर्च में 50 फीसदी की कमी का अनुमान है. पर्यावरण के लिए भी ये प्रोजेक्ट हितकारी साबित होगा और दुर्गम क्षेत्रों के लिए स्वास्थ्य समेत अन्य मूलभूत सुविधाओं तक भी पहुंच को आसान बनाएगा.

फोरलेन प्रभावित.

20 हजार से ज्यादा प्रभावित: बता दें कि किरतपुर से मनाली फोरलेन में 20 हजार लोग प्रत्यक्ष रूप और 30 हजार लोग अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हुए हैं. हिमाचल प्रदेश के 48 विधानसभा क्षेत्रों में आने वाले समय में फोरलेन का निर्माण कार्य किया जाना है. जिससे 1 लाख लोग प्रत्यक्ष व 1 लाख परिवार अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित होंगे. 48 विधानसभा क्षेत्र की अगर बात करें तो 10 लाख मतदाता इससे प्रभावित होंगे और आने वाले विधानसभा चुनावों में 10 लाख मतदाता अगर अपना रुझान दिखाते हैं तो यह भी सोचने वाली बात होगी.

फोरलेन के कार्य के लिए दो जगह पर सड़क के डिमार्केशन का कार्य शुरू हो चुका है, जबकि तीन अन्य फोरलेन सड़क निर्माण की प्रक्रिया भी पूरी की जा रही है. ऐसे में हिमाचल प्रदेश में फोरलेन निर्माण से प्रभावित होने वाले की संख्या करीब 10 लाख की होगी. अगर केंद्र सरकार के द्वारा जारी नियमों के तहत हिमाचल में चार गुना मुआवजा व अन्य कानून फोरलेन प्रभावित के हकों के लिए लागू नहीं किया गया तो इससे हिमाचल प्रदेश के 10 लाख परिवार प्रभावित होंगे.

फोरलेन प्रभावित.

चार गुना मुआवजे की मांग: कुल्लू फोरलेन संघर्ष समिति (Fourlane affected Samiti Kullu) के अध्यक्ष दिनेश सेन ने बताया कि भू-अधिग्रहण कानून 2013 (Land Acquisition Act 2013) में प्रभावितों और विस्थापितों को पुनर्वास तथा पुनर्स्थापना का अधिकार दिया गया है. इसमें प्रावधान है कि इसमें अधिग्रहित होने वाली भूमि का मुआवजा मार्केट रेट के अनुसार फैक्टर टू लगाकर दिया जाए. जबकि यहां सर्कल रेट पर फैक्टर एक लगाकर मुआवजा वास्तविक मूल्य की तुलना में बहुत ही कम दिया गया है.

उन्होंने कहा कि इस सड़क निर्माण के कारण अतिरिक्त भूमि और मकानों की भी भारी क्षति हो रही है. फोरलेन प्रभावितों की मांग है कि साल 2013 के कानून के अनुसार 2 गुना की बजाय उन्हें चार गुना मुआवजा दिया जाए. इसके अलावा जो दुकानदार या किराएदार भी इससे प्रभावित हुए हैं. उनके लिए भी पुनर्वास व पुनर्स्थापन की नीति तैयार की जाए, ताकि वह भी अपने परिवार का भरण पोषण कर सके. इसके अलावा फोरलेन निर्माण के दौरान भी कई गांव को जाने वाले रास्ते बंद हो गए हैं, ऐसे में ग्रामीणों हकों को भी बहाल किया जाए.

फोरलेन प्रभावित.

अपना वादा पूरा करने में नाकाम भाजपा: उन्होंने कहा कि कि भाजपा ने अपने घोषणा पत्र में चार गुना मुआवजा व अन्य मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिया था. लेकिन आज भाजपा इस वादे को पूरा करने में नाकाम साबित हुई है. ऐसे में फोरलेन प्रभावितों के द्वारा एक बैठक का आयोजन किया जाएगा और आगामी रणनीति तैयार की जाएगी कि किस तरह से संघर्ष समिति अपनी मांगों को पूरा करवाने की दिशा में काम करेगी. (Fourlane Project in Himachal).

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