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कर्फ्यू में भी जारी रहा सब्जी मंडियों का संचालन, कोरोना नियमों के साथ हुआ लेन-देन का काम

प्रदेश की रीड़ की हड्डी कहे जाने वाले किसानों को कर्फ्यू के दौरान भी राहत दी गई थी ताकि अनाज का लेन-देन चलता रहे. इस राहत का किसान भाइयों को फायदा भी हुआ है. किसानों खाद्य उत्पादों को सही दाम पर बेचने में सफल हुए.

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Published : Jun 12, 2021, 2:55 PM IST

कुल्लू:कोरोना वायरस पर लगाम लगाने के लिए प्रदेश सरकार ने कर्फ्यू लगाया है. हालांकि अब धीरे-धीरे अनलॉक की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. इस कोरोना कर्फ्यू के दौरान लोगों को किसी भी तरह की रियायत नहीं दी गई थी, लेकिन प्रदेश की रीढ़ की हड्डी कहे जाने वाले किसानों को कर्फ्यू के दौरान भी राहत दी गई थी, ताकि अनाज की खरीद-फरोख्त होती रहे. इस राहत का किसान भाइयों को फायदा भी हुआ है. किसानों खाद्य उत्पादों को सही दाम पर बेचने में सफल हुए.

कर्फ्यू में भी जारी रहा सब्जी मंडियों का संचालन

कुल्लू जिले में विभिन्न फलों और सब्जियों का उत्पादन बड़ी मात्रा में होता है. इन फल सब्जियों की मांग हमेशा रहती है. एपीएमसी द्वारा कुल्लू जिले में 8 फल और सब्जी मंडियों का संचालन किया जा रहा है. इनमें बंदरोल, भुंतर, पतलीकूहल, कुल्लू, चैरी बिहाल, निरमंड, खेगसू, बंजार और शॉट शामिल है.

इन फल व सब्जी मंडियों के माध्यम से लोगों को घर-द्वार के समीप अपने उत्पादों को बेचने की सुविधा प्रदान की गई है. हालांकि कोरोना काल में मंडियों के संचालन पर खतरा जरुर मंडराया था, लेकिन प्रशासन और सरकारी इंतजामों की वजह से नुकसान का खतरा टल गया.

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मंडियों के संचालन के लिए तैयार की गई SOP

सब्जी मंडियों के संचालन, मजदूरों की आवाजाही के लिए, माल वाहनों को सुचारू रुप से चलाने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया तैयार की गई. आवाजाही के लिए पास जारी किए गए. साल 2020-21 में लगभग 2,850 मजदूर और व्यापारी बाहरी राज्यों से इन्हीं रियायतों के चलते कुल्लू की विभिन्न मंडियों में आ सके.

इसके साथ ही इस साल भी 300 से अधिक मजदूर हिमाचल के विभिन्न जिलों से कुल्लू आए. कोरोना संकट के बीच साल 2020-21 में कुल्लू की विभिन्न मंडियों में तीन लाख 92 हजार क्विंटल सेब का व्यापार हुआ, जबकि उससे पिछले वर्ष यह आंकड़ा पांच लाख 6 हजार क्विंटल था.

मंडी संचालन के लिए कोरोना के खिलाफ किया जागरुक

सरकार की ओर से किए इंतजामों के चलते किसानों, व्यापारियों और मजदूरों को समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ा. कोरोना के मुश्किल दौर में भी मंडियों में व्यापार चलता रहा. इस दौरान कोरोना गाइडलाइन का भी ख्याल रखा गया और कोरोना जागरुकता अभियान के तहत समय-समय पर किसानों, व्यापारियों और मजदूरों को कोरोना के खिलाफ आगाह किया जाता रहा.

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