कुल्लू:हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले के उपमंडल बंजार में स्थित ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क में पार्क प्रबंधन के द्वारा ब्लू शीप, भूरा भालू और कस्तूरी मृग की गणना की गई है. साथ ही इसकी रिपोर्ट चंडीगढ़ भेज दी गई है. अब रिपोर्ट आने के बाद इस बात का खुलासा होगा कि पार्क में इन तीन प्रजाति के कितने जीव है और अब इनकी संख्या में कितनी वृद्धि हुई है. ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क के विश्व धरोहर बनने के बाद यहां पर जड़ी बूटी, पशु पक्षियों और जीव जंतुओं का संरक्षण हो रहा है. साल 2022 के आंकड़ों की बात करें तो पार्क में एक दशक में ब्लू शीप की संख्या में दोगुनी वृद्धि हुई है. वहीं, दुर्लभ वन्य जीव कस्तूरी मृग की संख्या भी अधिक पाई गई है.
बता दें कि ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क प्रबंधन के द्वारा 15 टीमों का गठन किया गया. जो अलग-अलग स्थान पर जाकर इन तीनों जीव की गणना में जुटी रही. टीम ने इस दौरान पाया कि पार्क के अलग-अलग इलाके में ब्लू शीप के कहीं झुंड विचरण कर रहे हैं और कस्तूरी मृग की मौजूदगी भी कई जगह पर पाई गई. ऐसे में अब रिपोर्ट आने के बाद इस बात का खुलासा हो पाएगा कि साल 2022 के मुकाबले 2023 में इन तीनों जीवन की संख्या में कितनी वृद्धि हुई है.
गौर रहे कि कुल्लू के बंजार की तीर्थन और सैंज घाटी में स्थित ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क को वर्ष 2014 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर का दर्जा दिया गया. यह नेशनल पार्क भारत के बहुत ही खूबसूरत नेशनल पार्कों में से एक है. वर्ष 2018 में भारतीय वन्य जीव संस्थान द्वारा करवाए गए सर्वे में इस नेशनल पार्क को देश भर की सैंक्चुअरी में पहला स्थान हासिल हुआ था. भारत सरकार द्वारा गठित प्रबंधन प्रभावकारिता मूल्यांकन कमेटी अब चार साल के बाद इस पार्क का पुनः आकलन करेगी.
इसी सिलसिले में पंजाब सरकार वन विभाग से सेवानिवृत्त पीसीसीएफ विद्या भूषण कुमार की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय टीम जिसमें वल्चर और रैपटन के विशेषज्ञ डॉक्टर विभवु कुमार और वन्य जीव संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. साल्वाडोर लिंग्दोह शामिल है. यह टीम ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क तीर्थन रेंज शाईरोपा में पहुंची है. इस टीम द्वारा एक बार पुनः ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क की नए सिरे से रैंकिंग की जा रही है. यह टीम करीब एक सप्ताह तक तीर्थन और सैंज परिक्षेत्र का दौरा करेगी जो पार्क क्षेत्र में हुए पर्यावरण परिवर्तन, मानव दखल, समुदाय की सहभागिता, पर्यटन, पार्क के प्रबंधन, संरक्षण और चुनौतियों पर अपनी रिर्पोट तैयार कर रही है.