कुल्लू/मंडी: लॉकडाउन और कर्फ्यू के चलते अब प्रदेश के अस्पतालों में खून की कमी होने लगी है. मुश्किल से ही मरीजों को ब्लड बैंकों में खून मिल पा रहा है. मरीजों को खून के लिए अब तीमारदारों, रिश्तेदारों का ही सहारा है, जिन्हें भी कर्फ्यू के चलते अस्पताल पहुंचने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.
कर्फ्यू के दौरान प्रदेश के ब्लड बैंकों में रक्तदाताओं के आने में कमी भी दर्ज की गई है. सहित प्रदेशभर में रक्तदान शिविरों का आयोजन नहीं हो रहा है. मरीजों के तीमारदारों की भी परेशानियां बढ़ गई हैं. कर्फ्यू के दौरान अगर कोई अस्पताल में रक्त देने के लिए पहुंच जाए तो उसके बाद उसे घर जाने के लिए भी खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.
कुल्लू अस्पताल में 250 यूनिट ब्लड भंडारण की क्षमता है, लेकिन यहां कर्फ्यू के दौरान 7 यूनिट से ज्यादा ब्लड एकत्र नहीं हो पाता है. ऐसे में कुल्लू अस्पताल में रक्त की कमी से जूझ रहे मरीजों के लिए रक्त का प्रबंध करना भी लॉक डाउन के दौरान एक चुनौती बना हुआ है.
कुल्लू में री इमेजिंग संस्था के अध्यक्ष व रक्तदान के क्षेत्र में कार्य कर रहे कृष ठाकुर का कहना है कि उनकी संस्था लंबे समय से अस्पताल में मरीजों को रक्त का प्रबंध करती है, लेकिन कर्फ्यू के दौरान अब मुश्किलें बढ़ी हैं. ऐसे में जिला प्रशासन को भी एक रक्तदान शिविर के आयोजन की अनुमति देनी चाहिए ताकि कुल्लू अस्पताल में रक्त का भंडारण हो सके.
वहीं जोनल अस्पताल मंडी के ब्लड बैंक में 300 यूनिट की क्षमता है, लेकिन यहां रक्त केवल अब इमरजेंसी के लिए रखा गया है. प्रदेशभर में 30 ब्लड बैंक हैं. इनमें 4000 यूनिट से अधिक ब्लड एकत्रित किया जा सकता है, लेकिन वर्तमान में खून की कमी है.