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Basant Panchami 2023: ढालपुर में भगवान रघुनाथ की यात्रा के साथ मनाया गया बसंत उत्सव, रथ को खींचकर मनाया गया पुण्य

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Published : Jan 26, 2023, 7:07 PM IST

Basant Panchami 2023, bhagwan raghunath rath yatra: ढालपुर में भगवान रघुनाथ के सम्मान में बसंत पंचमी धूमधाम से मनाई गई और हजारों लोगों ने रघुनाथ के दर्शन कर आशीर्वाद लिया. हजारों लोगों ने जय श्रीराम के उद्घोष के साथ रघुनाथ के रथ को खींचकर पुण्य कमाया.

Basant panchami 2023
भगवान रघुनाथ का रथ खींचते श्रद्धालु.

ढालपुर में भगवान रघुनाथ की यात्रा के साथ मनाया गया बसंत उत्सव

कुल्लू:जिला कुल्लू के मुख्यालय ढालपुर मैदान में भगवान रघुनाथ की रथयात्रा के साथ कुल्लू में बसंत उत्सव धूमधाम से मनाया गया. इस सुनहरे पल का गवाह बनने के लिए सैकड़ों की तादाद में लोग उमड़े. आस्था में डूबे लोगों ने ढालपुर मैदान में रथ को खींचकर पुण्य भी कमाया. अंतरराष्ट्रीय दशहरा पर्व के बाद भगवान रघुनाथ की यह दूसरी रथ यात्रा है. इसके लिए ढालपुर मैदान में भगवान रघुनाथ का अस्थायी शिविर भव्य रूप से सजाया गया था.

बसंत पंचमी के अवसर पर परंपरा के अनुसार भरत की भूमिका महंत खानदान के व्यक्ति ने निभाई और बसंत पंचमी के इस पर्व में जहां राम-भरत के मिलन के गवाह हजारों लोग बने. वहीं भरत अपने बड़े भाई राम को अयोध्या ले जाने के लिए भी प्रार्थना करते दिखे. राम भरत मिलन के बाद हनुमान जी की अठखेलियां लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र रही. केसरी रंग से पूरी तरह रंगे हुए हनुमान जिन श्रद्धालुओं को रंग लगाएंगे वे अपने आप को सौभाग्यशाली मानते हैं. इसी परंपरा को हनुमान ने यहां निभाया और सभी लोगों के साथ होली खेली. वहीं रथ को खींचने के लिए भी हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही.

भगवान रघुनाथ का रथ खींचते श्रद्धालु.

बसंत पंचमी के अवसर पर ढालपुर मैदान में अधिष्ठाता राम की कृपा दृष्टि के चलते अधिकतर श्रद्धालु यहां पीले वस्त्र पहनकर पहने हुए थे. रघुनाथ की नगरी से अधिष्ठाता रघुनाथ को ढालपुर मैदान तक लाया गया. इसके बाद अधिष्ठाता रघुनाथ को अगले 40 दिनों तक हर दिन गुलाल फेंका जाएगा. होली से 8 दिन पूर्व यहां होलाष्ठक का भी आयोजन होगा. बहरहाल, रघुनाथ की रथयात्रा से देवभूमि कुल्लू निहाल हो गई हैं और वसंत पंचमी का खुशी-खुशी से आगाज हुआ.

रथयात्रा के शुरू होने से पूर्व हनुमान बना व्यक्ति अपने केसरी रंग के साथ लोगों के बीच जाता है. वही, लोगों का केसरी नंदन के साथ स्पर्श हो. इसके लिए लोग उसके पीछे भागते हैं. जिन लोगों को हनुमान का केसरी रंग लगता है तो उसकी मन्नतें पूरी मानी जाती है. इस दिन अधिकतर स्त्रियां पीले व सफेद वस्त्र पहनकर आती है. केसरी नंदन की कृपा दृष्टि लोगों के ऊपर हो इसलिए उसके आगे आने के लिए लोगों का कुनबा उत्सुक रहता हैं. वही, रथयात्रा में अधिष्ठाता रघुनाथ के छड़ीबरदार महेश्वर सिंह समेत राज परिवार के सभी सदस्य मौजूद रहते हैं.

भगवान रघुनाथ के छड़ी बरदार महेश्वर सिंह ने बताया कि अयोध्या में जो भगवान रघुनाथ के रीति रिवाज व परंपरा का पालन किया जाता है. वही परंपरा कुल्लू में भी निभाई जाती है. बसंत पंचमी के अवसर पर भी पारंपरिक परंपराओं का निर्वाह किया गया और भगवान राम का आशीर्वाद लेने के लिए ढालपुर मैदान में हजारों की संख्या में श्रद्धालु उमड़े.

जिला कुल्लू देवी देवता कारदार संघ के अध्यक्ष दोतराम ने बताया कि बसंत पंचमी से शरद ऋतु का समापन हो जाता है और एक नई ऋतु का आगमन होता है. बसंत पंचमी के साथ ही जिला कुल्लू में देवी-देवताओं के त्योहार भी शुरू हो जाते हैं और प्रकृति में भी नया बदलाव देखने को मिलता है. अपने जीवन काल में उन्होंने पहली बार ऐसा देखा कि जब 26 जनवरी और बसंत पंचमी का त्योहार एक साथ मनाया गया.

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