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इस गांव में पांडवों ने किया था यज्ञ, आज भी इस यज्ञशाला में होती है मारकंडे देवता की पूजा - शिमला

पांडव कुछ समय तक यहां रुके और उस आदमी को यह वरदान दिया कि जब तक वो चाहेगा तब तक उसके घर में बकरियां रहेंगी. उस समय पांडव ने यहां यज्ञशाला बनाकर यज्ञ किया था.

नोर गांव

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Published : Feb 15, 2019, 9:46 PM IST

रामपुरः कुल्लू के निरमंड तहसील के नोर गांव को पौराणिक देवता का गांव कहा जाता है. मान्यता है कि अज्ञात वास के समय पांडव यहां आए थे. उस समय बस्तियां बहुत कम थी, ऐसा माना जाता है कि यहां एक व्यक्ति बकरियों के साथ पांडवों ने देखा और नर-नर पुकारने के कारण उस गांव का नाम नोर पड़ा. पांडव कुछ समय तक यहां रुके और उस आदमी को यह वरदान दिया कि जब तक वो चाहेगा तब तक उसके घर में बकरियां रहेंगी. उस समय पांडव ने यहां यज्ञशाला बनाकर यज्ञ किया था. ऐसा माना जाता है कि चायल पंचायत क्षेत्र में श्रीखंड के मार्ग में (जो देश का सबसे कठिन मार्ग माना जाता है) इस मार्ग में भीम डवार पड़ता है.

स्पेशल रिपोर्ट

भीम डमार


कहा जाता है कि पांडव यहां ठहरे थे, इसलिए इसका नाम भीम डमार पड़ा. देव ढांक से होकर पांडव अज्ञात वास के समय इस क्षेत्र में आए थे और यहां से श्रीखंड महादेव स्थल की और निकले. उस समय भीम डवार में रुके. भीम डवार एक की गुफा है.

भीम डवार एक ऐसी गुफा है जिसके अंदर आज भी दर्जनों लोग एक साथ जा सकते हैं. श्रीखंड मार्ग में कई पत्थर है. कहा जाता है कि ये पत्थर भीम ने रखे थे. पत्थर में कुरेद कर कुछ लिखा गया है. जिसे आज तक कोई पढ़ नहीं पाया है. वर्तमान में यहां श्रीखंड यात्रियों के लिए ठहराव व लंगर की व्यवस्था रहती है और यहां भेड़ पालक भी रहते है.

पांडवों की बनाई यज्ञ शाला में नोर गांव के ग्राम देवता मारकंडे की अराधना में आज भी यज्ञ होता है. यज्ञ शाला में एक खड़क का पेड़ उगा है, जो यहां के गांव के लिए फेंफड़े का कार्य करता है. इसलिए इस पेड़ को आजतक काटा नहीं गया है. कहा जाता है कि ये पेड़ कई सालों पुराना हैं.

गांव के निवासी सेवानिवृत अध्यापक शयाम भारद्वाज कहते हैं कि उनरे घर में भी बकरियां पाली जाती रही है, लेकिन इस समय उनके पास कोई बकरी नहीं है. किसी कारणवंश बकरियां लोगों को दे दी गई. जिन्हें बकरियां दी गई है उनके घर में आज भी मौजूद है.

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