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Ahoi Ashtami 2023: 5 नवंबर को संतानों के लिए निर्जला व्रत रखेंगी माताएं, अहोई अष्टमी व्रत से दूर होगी निसंतानता

Ahoi Ashtami 2023: इस साल 5 नवंबर को अष्टमी तिथि को अहोई अष्टमी मनाई जाएगी. माताएं अपने बच्चों के लिए निर्जला व्रत रखेंगी और उनकी लंबी एवं स्वस्थ आयु की कामना करेंगी. निसंतान महिलाएं भी संतान सुख के लिए अहोई अष्टमी का व्रत रखती हैं. जानें कैसे करें अहोई माता की पूजा और शुभ मुहूर्त......

Ahoi Ashtami 2023
अहोई अष्टमी 2023

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Nov 4, 2023, 2:32 PM IST

कुल्लू: इस साल अहोई अष्टमी व्रत 5 नवंबर को रखा जाएगा. हर साल कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अहोई अष्टमी का व्रत किया जाता है. संतान सुख और संतान की लंबी आयु के लिए माताएं इस दिन अहोई अष्टमी का व्रत करती हैं. इस साल 5 नवंबर रविवार को अहोई अष्टमी का व्रत किया जाएगा. शास्त्रों में करवा चौथ की तरह अहोई व्रत में भी निर्जल रहने का विधान लिखा गया है.

अहोई पूजा का शुभ मुहूर्त: हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास की अष्टमी तिथि का शुभांरभ 5 नवंबर की मध्य रात्रि 1:00 बज कर दो मिनट से शुरू हो जाएगा और अष्टमी तिथि का समापन 6 नवंबर के मध्य रात्रि 3:21 पर होगा. ऐसे में अहोई अष्टमी पूजा का मुहूर्त शाम 5:33 से 6:52 तक बन रहा है. अहोई अष्टमी के दिन दोपहर 1:35 तक शुभ योग बन रहा है और इस योग की शुरुआत 4 नवंबर को दोपहर 1 बजकर 1 मिनट पर हो गई है. ज्योतिष शास्त्र में कुल 27 योग बताए गए हैं. जिनमें शुभ योग 23वें स्थान पर आता है. यह योग शुभ कार्यों के लिए काफी अच्छा माना गया है. इस योग में किए गए कार्यों में व्यक्ति को समृद्धि और आर्थिक संपन्नता मिलती है. ऐसे में माताएं अपनी संतान की लंबी आयु के लिए अहोई अष्टमी का व्रत करती हैं.

राधा रानी के आशिर्वाद से दूर होगी निसंतानता: कुल्लू के आचार्य विजय कुमार ने बताया कि अहोई अष्टमी के दिन राधा कुंड में स्नान करने का भी काफी महत्व है. जिन विवाहित स्त्रियों को संतान प्राप्ति या गर्भधारण में समस्या आ रही है, तो उन्हें अहोई अष्टमी के दिन राधा रानी का आशीर्वाद लेना चाहिए और राधा कुंड में स्नान करना चाहिए. ऐसा मान्यता है कि इस उपाय को करने से महिलाओं को संतान प्राप्ति में आ रही सभी बढ़ाएं दूर होती हैं.

अहोई व्रत की पूजा विधि:आचार्य विजय कुमार ने बताया की सबसे पहले माताएं अहोई अष्टमी के दिन स्नान कर अहोई माता के सामने खड़े होकर व्रत का संकल्प लें. इसके बाद सूर्यास्त से लेकर तारा निकलने तक अहोई माता का पूजन करें. पूजन में जल से भरा हुआ कलश, सफेद धातु या चांदी की अहोई के साथ फुल, दूध हलवा, उबले हुए चावल और घी का दीपक रखें. सबसे पहले अहोई माता को तिलक लगाया जाए और उन्हें फूल अर्पित करें. पूजा के आरंभ में घी का दीपक जलाएं. अहोई माता को दूध और उबले हुए चावल चढ़ाए. गेहूं के सात दाने और दक्षिणा के कुछ पैसे अपने हाथ में लेकर अहोई माता की कथा सुने. उसके बाद गेहूं के दाने और दक्षिणा अपनी सास को देखकर उनका आशीर्वाद लें. वहीं, चंद्रमा को अर्घ्य देकर माताएं अपने व्रत का पारण करें.

अहोई माता देवी पार्वती का अवतार:आचार्य विजय कुमार ने बताया की अहोई माता को देवी पार्वती का अवतार माना गया है. संतान की रक्षा और संतान को स्वास्थ्य प्रदान करने वाली देवी के रूप में अहोई माता की पूजा की जाती है. अहोई माता के आशीर्वाद से भक्तों को सुखी जीवन मिलता है. ऐसे में निसंतान महिलाएं भी पुत्र प्राप्ति के लिए अहोई माता का व्रत करती हैं. इस व्रत को महिलाएं निर्जला रहकर ही करती हैं.

बच्चों की तरक्करी के लिए उपाय: आचार्य विजय कुमार का कहना है कि अगर किसी माता का बच्चा पढ़ाई में कमजोर है या उसे करियर में तरक्की नहीं मिल रही है, तो उस दिन अहोई माता को दूध, उबले हुए चावल और लाल रंग के फूल अर्पित करें. लाल रंग के फूल हाथ में लेकर अपने बच्चों के सुनहरे भविष्य के लिए प्रार्थना करें. अहोई माता की कृपा से जल्द ही बच्चों का करियर तरक्की पर होगा.

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