कुल्लू: देवभूमि की संस्कृति और परंपरा अपने आप में एक मिसाल है और यही इसे अद्भुत भी बनाती है. अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा में एक ऐसे देवता भाग लेते हैं जो लाखों लोगों की भीड़ को बखूबी संभालते हैं. वैसे तो इनका नाम धूमल नाग है, लेकिन इन्हें ट्रैफिक इंचार्ज की भी संज्ञा दी गई है.
एक ओर पूरे दशहरे में जहां लोगों की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए सैकड़ों के हिसाब से पुलिस जवानों को बुलाया जाता है, वहीं मान्यता है कि रथ यात्रा के आरंभ से ही धूमल नाग देवता अकेले ही पूरी भीड़ को नियंत्रित करते हैं और दशहरा मैदान में उमड़ने वाली भीड़ को भगवान रघुनाथ के रथ से दूर रखने की कोशिश करते हैं.
दशहरे का आरंभ हो या फिर समापन, जब भी भगवान रघुनाथ के रथ के सामने लोगों की भारी भीड़ उमड़ती है तो धूमल नाग स्वयं भगवान रघुनाथ के लिए रास्ता बनाते हैं और लोगों की भीड़ को दूर करते हैं. जब दशहरा में लोगों की भीड़ को हटाने में असमर्थ साबित होने लगती है तब भी धूमल नाग खुद भीड़ को हटाकर भगवान रघुनाथ के लिए रास्ता बनाते हैं. देवता के कारदार, पुजारी और गुर आज भी इस अलौकिक शक्ति से हैरान हैं.
कुल्लू दशहरा में धूमल नाग के आस-पास साफ-सफाई का विशेष ख्याल रखा जाता है. मान्यता है कि मंदिर के आस पास जब कोई गंदगी फैलाता है तो देव रथ अपने आप चलने लगता है. यही वजह है कि पहले देवरथ को बांधकर रखा जाता था, लेकिन जब से रथ में देवता के लिए आसन की व्यवस्था की गई है तब से उन्होंने रथ को बांधना छोड़ दिया है. कहते हैं कि देवता के रथ में इतनी शक्ति है कि जब भी उनकी इच्छा के बगैर कोई धार्मिक कार्य किया जाता है तो उनका रथ खुद ब खुद चलने लगता है. यही वजह है कि कारदार और देवता के पुजारी दशकों से इस परंपरा का निर्वहन करते आ रहे हैं, ताकि धूमल नाग देवता हमेशा प्रसन्न रहें और सबके ऊपर अपनी कृपा बनाए रखें.