किन्नौरः जनजातीय जिला किन्नौर की हांगरंग घाटी के चांगो गांव में प्रकृति को खुश करने के लिए महिलाओं ने बौद्ध मंत्र जाप किया. हांगरंग घाटी के चांगो गांव सेब और शांतिमय वातावरण के लिए समूचे प्रदेश में जाना जाता है. साथ ही यह गांव मटर, सेब, आलू के लिए किन्नौर के सबसे बेहतरीन फसलों के लिए भी प्रसिद्ध है. इस गांव में हर वर्ष महिलाएं सर्दियों के दौरान एक घर में एकत्रित होकर बौद्ध धर्म के मंत्रो के उच्चारण के साथ वाद्य यंत्रों की धुन पर प्रकृति को याद करते हैं. इलाके में बर्फबारी के बाद गांवासियों का प्रार्थना का यह दौर शुरू हो जाता है.
किन्नौर की महिलाओं ने 1 महीने तक किया बौद्ध मंत्रों का जाप, बर्फबारी के बाद शुरू होता है प्रार्थना का दौर
किन्नौर के हांगरंग घाटी के चांगो गांव में प्रकृति को खुश करने के लिए महिलाओं ने किया 1 महीने तक बौद्ध मंत्रों का जाप. इलाके में बर्फबारी के बाद गांवासियों का प्रार्थना का यह दौर शुरू हो जाता है.
बात दें कि भारी बर्फबारी के बीच गांव की सभी महिलाएं एक बड़े कमरे में एकत्रित हो जाती हैं. इस दौरान गांव के बड़े लामा इन महिलाओं के मध्य होते हैं. जो इन्हें बर्फबारी के बाद प्रकृति को याद करने के मंत्र और आने वाली फसलों की अच्छी गुणवत्ता के लिए मंत्रों का जाप करवाते हैं. यहा के ग्रामीण बर्फबारी के दौरान इन मंत्रों के जरिए ईश्वर को खुश करने की कोशिश करते हैं.
वहीं, सर्दियों के दौरान अच्छी बर्फबारी और आने वाली अच्छी फसल के साथ गांव को बीमारियों से दूर रखने के लिए महिलाएं बौद्ध धर्म के मंत्रों का उच्चारण महीने तक करती रहती हैं. जिसके अंतिम दिन बाद समूचे गांव को ये महिलाएं एक स्थान पर इकट्ठा होकर खाना खिलाती हैं और अनाज के दानें जमीन पर फैला दैती हैं, जो सर्दियों में पक्षियों के लिए खाने के तौर पर जमीन पर रखा जाता है.