किन्नौर:ईटीवी भारत की टीम किन्नौर जिले के लिप्पा गांव पहुंची. हमारी टीम ने यहां पर स्थित डा चोंगपा पर जानकारी हासिल की. स्थानीय लोगों से बात करके पता चला कि बौद्ध धर्म के गुरु पद्म संंभव ने यहां तपस्या की थी. इसी के चलते सालों से यहां उनकी पूजा-अर्चना की जाती है.
शिला पर पद्म संभव के शरीर के निशान
विश्वविख्यात धार्मिक स्थल डा चोंगपा किन्नौर जिले के लिप्पा गांव में स्थित है. डा चोंगपा से ही लिप्पा गांव की पहचान है. डा चोंगपा उसी जगह पर स्थित है जहां बौद्ध धर्म के गुरु पद्म संभव ने तपस्या की थी. डा चोंगपा लिप्पा की ऊपरी पहाड़ी पर एक बड़े पत्थर की करीबन 40 फीट बड़ी शिला है. इस शिला पर बौद्ध धर्म के तांत्रिक सिद्धि वाले गुरु पद्म संभव के शरीर के निशान हैं. इन निशानों को देखकर यही लगता है मानो किसी व्यक्ति ने इन्हें उकेरा हो.
नालंदा विश्विद्यालय में आचार्य थे पद्म संभव
गुरु पद्म संभव नालंदा विश्विद्यालय में बौद्ध धर्म के आचार्य भी थे. जब पद्म संभव नालंदा में आचार्य थे, तब उन्होंने बौद्ध धर्म की सभी किताबों को संस्कृत से बोटी तिब्बतियन भाषा में बदल दिया था. उस समय ही गुरु पद्म तिब्बत की यात्रा भी करते रहते थे. दरअसल मान्यता है कि डा चोंगपा के एक बहुत बड़े चट्टान पर एक महिला ने किसी लाल कपड़े और विकराल शरीर वाले व्यक्ति को उड़कर शिला पर बैठते हुए देखा था. जब चट्टान पर एक व्यक्ति के बैठे हुए निशान मिले तो स्थानीय बौद्ध भिक्षु और देवी-देवताओं से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि यह साक्ष्य पद्म संभव के हैं.