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अपना आखिरी वोट भी औरों से पहले डाल गए श्याम सरन नेगी, ऐसी है एक स्कूल मास्टर के लोकतंत्र का नायक बनने की कहानी - shyam saran negi passes away

दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के पहले मतदाता श्याम सरन नेगी का निधन हो गया (First voter of India Shyam Saran Negi) है. 105 साल के श्याम सरन नेगी अपनी अंतिम सांस तक लोकतंत्र का झंडा बुलंद करते रहे और लोगों को मतदान की अहमियत समझाते रहे. अब तक हर चुनाव में वोट डाल चुके नेगी ने कुल 34 बार मतदान किया था. आजाद भारत का पहला वोट डालने वाले श्याम सरन नेगी ने अपना आखिरी वोट भी बाकियों से पहले डालकर इस दुनिया को अलविदा कह दिया.

Independent indias first voter
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Published : Nov 5, 2022, 10:26 AM IST

Updated : Nov 5, 2022, 10:41 AM IST

किन्नौर: आजाद भारत के पहले मतदाता श्याम सरन नेगी का शनिवार को निधन हो (Country first voter Shyam Saran Negi passes away) गया. 105 साल की उम्र के श्याम सरन नेगी ने आजाद भारत के पहले चुनाव में सबसे पहले वोट डाला (First voter of India Shyam Saran Negi) था. वो जिंदगी भर मतदान की अहमियत बताते रहे, जब तक सांसे रही मतदान के प्रति उनका जोश और जुनून बरकरार रहा. चुनाव कोई भी रहा हो श्याम सरन नेगी ने अपना वोट जरूर दिया और लोगों को इसकी अहमियत समझाते हुए लोकतंत्र के नायक बने रहे. 1951 में वोट डालकर देश के पहले मतदाता बने श्याम सरन नेगी ने 2 नवंबर, 2022 को अपना आखिरी वोट डाला था.

आखिरी वोट भी पहले डाल गए नेगी- दरअसल हिमाचल में 12 नवंबर को मतदान होना है. चुनाव आयोग ने 80 साल से अधिक उम्र के बुजुर्ग और दिव्यांगों को घर से मतदान करने की सहूलियत दी है. घर से मतदान करने के इच्छुक लोग 12D फॉर्म भर सकते हैं. जिसके बाद चुनाव आयोग उनके घर से मतदान की व्यवस्था करेगा. श्याम सरन नेगी ने भी इसी प्रक्रिया के तहत घर से वोट दिया था. जिला प्रशासन ने बकायदा उनके घर में मतदान की व्यवस्था की और रेड कार्पेट पर गाजे-बाजों के साथ देश के पहले मतदाता का स्वागत किया था. हर बार चुनाव में आयोग द्वारा ये व्यवस्था उस पोलिंग बूथ पर भी की जाती थी जहां नेगी मतदान करते थे. इस तरह श्याम सरन नेगी ने अपना आखिरी वोट भी हिमाचल के अन्य मतदाताओं से पहले डाल दिया था.

भारत के पहले मतदाता श्याम सरन नेगी.

बूथ पर जाकर करना चाहते थे मतदान लेकिन...- श्याम सरन नेगी इस बार भी बूथ पर जाकर मतदान करना चाहते थे. इसीलिए उन्होंने तबीयत खराब होने के बावजूद प्रशासन द्वारा 12D फॉर्म भरने की सलाह को ठुकरा दिया था. लेकिन उम्र के इस पड़ाव में बीमारी ने उन्हें मजबूर कर दिया और जब उन्हें लगा कि तबीयत खराब होने के कारण वो बूथ तक नहीं जा पाएंगे तो उन्होंने 12D फॉर्म भरकर घऱ से ही बैलेट के जरिये अपना वोट दिया. उम्र का तकाजा उन्हें हर बार ये कहने पर मजबूर कर देता था कि शायद 'इस बार वोट ना दे पाऊं', लेकिन वोटिंग के प्रति उनका जज्बा आखिरी सांस तक बना रहा और मौत आने से दो दिन पहले वो अपना आखिरी वोट डाल गए.

श्याम सरन नेगी को आखिरी सांस तक याद था वो पहला चुनाव- श्याम सरन नेगी को अपना पहला वोट डाले 71 साल पहले डाला था लेकिन उनको पहले चुनाव का वो वोट आखिरी सांस तक ऐसे याद रहा, मानो कल की बात हो. कुछ वक्त पहले ही ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान नेगी ने देश के पहले आम चुनाव को याद करते हुए कहा 'यहां भी 1952 में चुनाव होने थे लेकिन लोगों ने इस पर एतराज जताया कि यहां जनवरी, फरवरी, मार्च में बर्फबारी और कड़ाके की ठंड पड़ती है. ऐसे मौसम में कोई भी वोट नहीं दे पाएगा इसलिये किन्नौर को इससे अलग करो. जिसके बाद 1951 के अक्टूबर में चुनाव हुए'.

भारत के पहले मतदाता श्याम सरन नेगी.

उस वक्त पेशे से स्कूल टीचर रहे श्याम सरन नेगी को 25 अक्टूबर 1951 का वो दिन अच्छी तरह याद था. उस दौरान उनकी चुनाव कराने की ड्यूटी किन्नौर के शौंगठोंग से लेकर नेसंग तक लगाई गई थी, जबकि उनका वोट कल्पा गांव में था. नेगी उस दिन को याद करते हुए बताते हैं 'मैंने कहा कि मुझे वोट देना है, प्रिसाइडिंग ऑफिसर ने कहा कि यहां कौन से 100 फीसदी वोट पड़ने वाला है. यहां 25, 30 पर्सेंट से ज्यादा मतदान नहीं होगा. मेरी चुनाव ड्यूटी कहीं और लगी थी, दिन में वहां काम करते हुए शाम को ख्याल आया कि मुझे वोट देना है. फिर शाम को मैं घर आया और अगली सुबह 6 बजे वोट डालने पहुंच गया. तब तक चुनाव करवाने वाली पार्टी तक नहीं पहुंची थी'.

मतदान को लेकर श्याम सरन नेगी में पहले से ही जुनून था, नेगी ने अपने चुनाव अधिकारी को बताया कि मैं वोट डालना चाहता हूं और सुबह वक्त पर वापस चुनाव की ड्यूटी पर लौट आऊंगा. अनुमति मिलते ही नेगी वोटिंग से एक दिन पहले अपने घर कल्पा पहुंचे और अगले दिन सुबह जल्दी उठकर मतदान केंद्र वोट डालने पहुंच गए. चुनाव की ड्यूटी में तैनात कर्मचारियों के पहुंचने पर नेगी ने बताया कि उन्हें चुनाव ड्यूटी के लिए जाना है इसलिये उन्हें जल्दी वोटिंग करने दें. चुनाव ड्यूटी में तैनात कर्मचारियों ने पूरा सहयोग करते हुए निर्धारित समय से कुछ पहले नेगी को वोट डालने दिया. उस वक्त श्याम सरन नेगी की उम्र 31 साल थी, उन्हें क्या पता था कि वोट डालने की जल्दबाजी में वो एक ऐसा इतिहास लिख रहे हैं जिसमें उनका नाम हमेशा के लिए अमर हो जाएगा.

भारत के पहले मतदाता श्याम सरन नेगी.

25 अक्टूबर को अपना वोट डालकर नेगी अपनी चुनाव ड्यूटी पर भी वक्त पर पहुंच गए. इसके बाद नेगी ने शौंगठोंग से नेसंग तक 10 दिन तक मतदान में ड्यूटी दी थी. दिन में वोटिंग और शाम को बैलेट बॉक्स को सुरक्षित कैंप तक ले आते थे. बताते हैं कि उस दौर में टीन के कनस्तर का बैलेट बॉक्स बनाया गया था. नेगी और उनके परिवार के सदस्य ये तो जानते थे कि उन्होंने तय वक्त से पहले मतदान किया है लेकिन वो आजाद भारत के पहले मतदाता होंगे, ऐसा किसी ने भी नहीं सोचा था. (Independent indias first voter).

56 साल के बाद दुनिया के सामने आई सच्चाई:श्याम सरन नेगी ने 1951 में आजाद भारत का पहला वोट डाला था लेकिन अगले कई दशकों तक नेगी के साथ-साथ दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र इस बात से अनजान था. नेगी को आजाद भारत के पहले मतदाता के रूप में पहचान मिलने की कहानी भी कम फिल्मी नहीं है. हिमाचल के वरिष्ठ पत्रकार संजीव कुमार शर्मा बताते हैं कि जुलाई 2007 में हिमाचल प्रदेश की तत्कालीन मुख्य निर्वाचन अधिकारी मनीषा नंदा ने सबसे पहले इस दिशा में तथ्यों को खंगाला था. उनकी बदौलत ही श्याम सरन नेगी को एक नई पहचान मिली.

भारत के पहले मतदाता श्याम सरन नेगी.

उन दिनों चुनाव आयोग पहले आम चुनाव में वोट डालने वाले मतदाताओं की पहचान कर रहा था. मनीषा नंदा के मुताबिक वो जानती थी कि आजाद भारत में सबसे पहले किन्नौर में मतदान हुआ था. एक दिन उनके हाथ फोटो मतदाता पहचान पत्र का रिकॉर्ड आया. जिसमें 90 साल की आयु वाले मतदाताओं का रिकॉर्ड था, मनीषा नंदा ने 90 साल के श्याम सरन नेगी की उम्र देखने के बाद किन्नौर की तत्कालीन जिला उपायुक्त एम. सुधा देवी को तथ्यों की पुष्टि करने के लिए कहा. एम. सुधा देवी ने श्याम सरन नेगी और उनके परिवार से बात की. श्याम सरन नेगी और उनके बेटे चंद्र प्रकाश नेगी ने आजाद भारत के पहले चुनाव में वोट डालने की बात कही थी.

इसके बाद करीब तीन से चार महीने शिमला से दिल्ली तक चुनाव आयोग की फाइलें खंगाली गई. आखिरकार पुष्टि हुई कि आजाद भारत के पहले चुनावों में पहला वोट मास्टर श्याम सरन नेगी ने ही डाला था. मनीषा नंदा के मुताबिक उन्हें ये जानकर बहुत खुशी हुई कि आजाद भारत का पहला वोटर हिमाचल प्रदेश से है. साल 2010 में तत्कालीन मुख्य निर्वाचन आयुक्त नवीन चावला दिल्ली से किन्नौर आए और श्याम सरन नेगी को सम्मानित भी किया था. इस तरह श्याम सरन नेगी आजाद भारत के पहले मतदाता बने.

भारत के पहले मतदाता श्याम सरन नेगी.

VVIP वोटर थे श्याम सरन नेगी: जबसे मास्टर श्याम सरन नेगी को आजाद भारत के पहले मतदाता का आधिकारिक तमगा मिला था. तबसे वो एक वीवीआईपी वोटर थे. जिस मतदान केंद्र पर नेगी अपना वोट डालने जाते, उसे बकायदा सजाया जाता था और जिला प्रशासन उन्हें अपने साथ मतदान केंद्र तक ले जाता था. जहां रेड कार्पेट पर स्थानीय वाद्य यंत्रों के साथ उनका जोरदार स्वागत होता था.

लोकतंत्र के ब्रांड एंबेसडर थे नेगी: श्याम सरन नेगी उस दौर में नौवीं क्लास तक पढ़े थे. 1940 से 1946 तक वन विभाग में वन रक्षक के तौर पर नौकरी की और फिर स्कूल में टीचर बन गए. आधिकारिक रूप से आजाद भारत का पहला मतदाता बनने के बाद मीडिया के कैमरे भी उनतक पहुंचे. साल 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले गूगल इंडिया ने भी श्याम सरन नेगी पर एक छोटी सी डॉक्यूमेंट्री बनाई, नेगी को लोकतंत्र का ब्रांड एंबेसडर बताकर इसे वोटिंग के प्रति जागरुकता फैलाने का जरिया बनाया गया. उनकी कहानी आज के उन युवाओं को वोट की अहमियत बताती है. जिनके लिए चुनाव का दिन सिर्फ एक छुट्टी का दिन है.

भारत के पहले मतदाता श्याम सरन नेगी.

'जब तक है जान, करता रहूंगा मतदान': श्याम सरन नेगी के जीवन का यही मंत्र था. वोटिंग को लेकर उनमें एक अलग ही जोश दिखता था. कुछ वक्त पहले ईटीवी भारत ने नेगी से इस बार के मतदान को लेकर सवाल किया तो श्याम सरन नेगी ने कहा 'क्या पता शरीर चलता है कि नहीं, इस वक्त जो हालत है, मैं लड़खड़ाते -लड़खड़ाते ही सही वोट जरूर दूंगा'. वोटिंग को लेकर उनका ये जज्बा उनमें हमेशा बना रहा. श्याम सरन नेगी इस बार मतदान के लिए पोलिंग बूथ तक तो नहीं जा सके लेकिन अपना आखिरी वोट उसी जज्बे के साथ दे गए. वो दूसरों को भी मतदान के लिए जागरुक करते थे, खासकर युवाओं को मतदान की अहमियत समझाते थे.

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Last Updated : Nov 5, 2022, 10:41 AM IST

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