किन्नौर: आजाद भारत के पहले मतदाता श्याम सरन नेगी का शनिवार को निधन हो (Country first voter Shyam Saran Negi passes away) गया. 105 साल की उम्र के श्याम सरन नेगी ने आजाद भारत के पहले चुनाव में सबसे पहले वोट डाला (First voter of India Shyam Saran Negi) था. वो जिंदगी भर मतदान की अहमियत बताते रहे, जब तक सांसे रही मतदान के प्रति उनका जोश और जुनून बरकरार रहा. चुनाव कोई भी रहा हो श्याम सरन नेगी ने अपना वोट जरूर दिया और लोगों को इसकी अहमियत समझाते हुए लोकतंत्र के नायक बने रहे. 1951 में वोट डालकर देश के पहले मतदाता बने श्याम सरन नेगी ने 2 नवंबर, 2022 को अपना आखिरी वोट डाला था.
आखिरी वोट भी पहले डाल गए नेगी- दरअसल हिमाचल में 12 नवंबर को मतदान होना है. चुनाव आयोग ने 80 साल से अधिक उम्र के बुजुर्ग और दिव्यांगों को घर से मतदान करने की सहूलियत दी है. घर से मतदान करने के इच्छुक लोग 12D फॉर्म भर सकते हैं. जिसके बाद चुनाव आयोग उनके घर से मतदान की व्यवस्था करेगा. श्याम सरन नेगी ने भी इसी प्रक्रिया के तहत घर से वोट दिया था. जिला प्रशासन ने बकायदा उनके घर में मतदान की व्यवस्था की और रेड कार्पेट पर गाजे-बाजों के साथ देश के पहले मतदाता का स्वागत किया था. हर बार चुनाव में आयोग द्वारा ये व्यवस्था उस पोलिंग बूथ पर भी की जाती थी जहां नेगी मतदान करते थे. इस तरह श्याम सरन नेगी ने अपना आखिरी वोट भी हिमाचल के अन्य मतदाताओं से पहले डाल दिया था.
बूथ पर जाकर करना चाहते थे मतदान लेकिन...- श्याम सरन नेगी इस बार भी बूथ पर जाकर मतदान करना चाहते थे. इसीलिए उन्होंने तबीयत खराब होने के बावजूद प्रशासन द्वारा 12D फॉर्म भरने की सलाह को ठुकरा दिया था. लेकिन उम्र के इस पड़ाव में बीमारी ने उन्हें मजबूर कर दिया और जब उन्हें लगा कि तबीयत खराब होने के कारण वो बूथ तक नहीं जा पाएंगे तो उन्होंने 12D फॉर्म भरकर घऱ से ही बैलेट के जरिये अपना वोट दिया. उम्र का तकाजा उन्हें हर बार ये कहने पर मजबूर कर देता था कि शायद 'इस बार वोट ना दे पाऊं', लेकिन वोटिंग के प्रति उनका जज्बा आखिरी सांस तक बना रहा और मौत आने से दो दिन पहले वो अपना आखिरी वोट डाल गए.
श्याम सरन नेगी को आखिरी सांस तक याद था वो पहला चुनाव- श्याम सरन नेगी को अपना पहला वोट डाले 71 साल पहले डाला था लेकिन उनको पहले चुनाव का वो वोट आखिरी सांस तक ऐसे याद रहा, मानो कल की बात हो. कुछ वक्त पहले ही ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान नेगी ने देश के पहले आम चुनाव को याद करते हुए कहा 'यहां भी 1952 में चुनाव होने थे लेकिन लोगों ने इस पर एतराज जताया कि यहां जनवरी, फरवरी, मार्च में बर्फबारी और कड़ाके की ठंड पड़ती है. ऐसे मौसम में कोई भी वोट नहीं दे पाएगा इसलिये किन्नौर को इससे अलग करो. जिसके बाद 1951 के अक्टूबर में चुनाव हुए'.
उस वक्त पेशे से स्कूल टीचर रहे श्याम सरन नेगी को 25 अक्टूबर 1951 का वो दिन अच्छी तरह याद था. उस दौरान उनकी चुनाव कराने की ड्यूटी किन्नौर के शौंगठोंग से लेकर नेसंग तक लगाई गई थी, जबकि उनका वोट कल्पा गांव में था. नेगी उस दिन को याद करते हुए बताते हैं 'मैंने कहा कि मुझे वोट देना है, प्रिसाइडिंग ऑफिसर ने कहा कि यहां कौन से 100 फीसदी वोट पड़ने वाला है. यहां 25, 30 पर्सेंट से ज्यादा मतदान नहीं होगा. मेरी चुनाव ड्यूटी कहीं और लगी थी, दिन में वहां काम करते हुए शाम को ख्याल आया कि मुझे वोट देना है. फिर शाम को मैं घर आया और अगली सुबह 6 बजे वोट डालने पहुंच गया. तब तक चुनाव करवाने वाली पार्टी तक नहीं पहुंची थी'.
मतदान को लेकर श्याम सरन नेगी में पहले से ही जुनून था, नेगी ने अपने चुनाव अधिकारी को बताया कि मैं वोट डालना चाहता हूं और सुबह वक्त पर वापस चुनाव की ड्यूटी पर लौट आऊंगा. अनुमति मिलते ही नेगी वोटिंग से एक दिन पहले अपने घर कल्पा पहुंचे और अगले दिन सुबह जल्दी उठकर मतदान केंद्र वोट डालने पहुंच गए. चुनाव की ड्यूटी में तैनात कर्मचारियों के पहुंचने पर नेगी ने बताया कि उन्हें चुनाव ड्यूटी के लिए जाना है इसलिये उन्हें जल्दी वोटिंग करने दें. चुनाव ड्यूटी में तैनात कर्मचारियों ने पूरा सहयोग करते हुए निर्धारित समय से कुछ पहले नेगी को वोट डालने दिया. उस वक्त श्याम सरन नेगी की उम्र 31 साल थी, उन्हें क्या पता था कि वोट डालने की जल्दबाजी में वो एक ऐसा इतिहास लिख रहे हैं जिसमें उनका नाम हमेशा के लिए अमर हो जाएगा.
25 अक्टूबर को अपना वोट डालकर नेगी अपनी चुनाव ड्यूटी पर भी वक्त पर पहुंच गए. इसके बाद नेगी ने शौंगठोंग से नेसंग तक 10 दिन तक मतदान में ड्यूटी दी थी. दिन में वोटिंग और शाम को बैलेट बॉक्स को सुरक्षित कैंप तक ले आते थे. बताते हैं कि उस दौर में टीन के कनस्तर का बैलेट बॉक्स बनाया गया था. नेगी और उनके परिवार के सदस्य ये तो जानते थे कि उन्होंने तय वक्त से पहले मतदान किया है लेकिन वो आजाद भारत के पहले मतदाता होंगे, ऐसा किसी ने भी नहीं सोचा था. (Independent indias first voter).