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किन्नौर में चिलगोजे का व्यापार शुरू, बंपर उत्पादन के बावजूद इस वजह से स्थानीय व्यापारी परेशान - Benefits of Pine nuts

जनजातीय जिला किन्नौर अपनी प्राकृतिक फसलों के लिए पूरे विश्व भर में जाना जाता है. किन्नौर में ऐसी कई प्राकृतिक फसलें हैं, जो स्थानीय लोगों की आर्थिकी का मुख्य साधन है. इसमें जीरा, चिलगोजा, जंगली चुल्ली(एप्रिकॉट), शोशोचा, शिंगका शामिल है. किन्नौर में चिलगोजे का व्यापार शुरू हो गया है. चिलगोजे के दाम इस साल 1500 रुपये प्रति किलोग्राम मिल रहे हैं. (Pine nuts in kinnaur market )

Pine nuts in kinnaur market
किन्नौर में चिलगोजे का व्यापार.

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Published : Oct 25, 2022, 12:52 PM IST

Updated : Oct 25, 2022, 1:29 PM IST

किन्नौर: ठंडे सूखे व पर्वतीय क्षेत्रों में पाया जाने वाला दुनिया का दुर्लभ प्रजाति में से एक चिलगोजा नामक पेड़ जो कि हिमायल की गोद में बसा जनजातीय क्षेत्र किन्नौर जिले में पाया जाता है. किन्नौर में इसे काला सोना भी कहा जाता है. किन्नौर में सेब के अलावा किन्नौर वासियों को चिलगोजे की फसल से अच्छी आय प्राप्त होती है, जिसमें किसी प्रकार के मेहनत की आवश्यकता नहीं होती. यह एक प्राकृतिक फसल है, जिसे लोग साल में एक बार मजदूरों की सहायता से गिराकर बाजार में बेचते हैं.इस फसल से लोग सालभर के लिए अच्छी आमदनी भी इकट्ठा कर लेते हैं. चिलगोजा एक दुर्लभ प्रजाति का पेड़ है, जो पूरे विश्वभर के गिने चुने इलाको में पाया जाता है और इंटरनेशनल मार्केट में चिलगोजे की कीमत और मांग खूब रहती है. इन दिनों न्योजा (चिलगोजे) का व्यापार जिले में जोरों पर है. अक्टूबर का यह फसल रिकांगपिओ बाजार में इन दिनों व्यापरियों द्वारा अलग-अलग भाव पर खरीदा और बेचा जा रहा है. (Pine nuts in kinnaur market )

वीडियो.

इन दिनों चिलगोजे एक हजार रुपये से 1200 रुपये तक बिक रहा है, जबकि पिछले वर्ष 1500 रुपये तक चिलगोजे के दाम मिले रहे थे. किन्नौर में अधिक मात्रा में उत्पादन होने के कारण चिलगोजे के उचित दाम स्थानीय लोगों को नहीं मिल पा रहे हैं. इस वर्ष पिछले वर्ष की अपेक्षा चिलगोजे का उत्पादन अधिक है, जिस वजह से चिलगोजे के दाम कम मिल रहे हैं. इसी तरह 2015 में भी बम्पर पैदावार होने से न्योजे का भाव गिर कर मात्र 250 रुपये तक आ गया था.

किन्नौर में चिलगोजे का व्यापार.

क्या कहते हैं स्थानीय व्यापारी: जिले के स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि चिलगोजे का दाम वैसे ही कम मिल रहा है और चिलगोजे को भी सेब की भांति विभिन्न मंडियों में ले जाने के लिए किसी भी तरह की परमिट की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए. ताकि जिले के क्षेत्रों में जहां चिलगोजे का उत्पादन होता है, उन लोगों को किसी भी तरह की परेशानियों का सामना न करना पड़े. चिलगोजे का व्यापार करने के लिए जिले के अलावा दूसरे जिले व प्रदेशों से व्यापारी पहुंच जाते हैं और यहां से चिलगोजा खरीदने के बाद दिल्ली आदि मंडी में भेजते हैं.

चिलगोजे का पेड़ हिमाचल प्रदेश के किन्नौर व चंबा पांगी भरमौर में ही पाया जाता है, जबकि इसके अलावा यह अफगानिस्तान, बलूचिस्तान व दक्षिण पश्चिम अमेरिका में पाया जाता है. खास बात यह है कि एशियन चिलगोजे स्वाद में बेहतर और आकार में अन्य देशों के मुकाबले बड़े होते हैं. कई वर्षों से चिलगोजे का व्यापार करते आ रहे पंगी निवासी किशोर माजू नेगी ने कहा कि इस वर्ष जिले में न्योजे की पैदावार ज्यादा है जिस कारण दाम में भी काफी गिरावट आई हैऔर इस दुर्लभ प्राकृतिक फसल की कीमत सही हो. इस संदर्भ मे सरकार को काम करना चाहिए. ( Benefits of Pine nuts)

स्थानीय व्यापारियों की माग: गुलाब चंद नेगी ने कहा कि न्योजे के व्यापार में व्यापारी को 5 से 10 पर्सेंट का ही मुनाफा होता है. उन्होंने कहा कि पहले न कोई टैक्स लगता था और न ही रॉयल्टी, एक्सपोर्ट परमिट आदि लगते हैं, लेकिन अब 10% टैक्स के अलावा परमिट का होना अनिवार्य किया गया है. जबकि सेब आदि अन्य नकदी फसल पर मात्र 2/3 % ही टैक्स लगता है. ऐसे में इन व्यापारियों ने प्रशासन व सरकार से मांग की है कि चिलगोजे के फसल से भी सेब के बराबर ही टैक्स लिया जाए और 4 ईयर स्केल से हटाकर वन ईयर किया जाए ताकि व्यापारी आसानी से मंडी पहुंच सके. (Pine nuts rates in market)

Last Updated : Oct 25, 2022, 1:29 PM IST

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