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PHULAYACH FAIR 2023: किन्नौर में ऐतिहासिक फुलायच मेले का हुआ आगाज, देवता को ब्रह्म कमल अर्पित करेंगे ग्रामीण - तरांडा में 5 दिवसीय फुलायच मेले का आगाज

किन्नौर के तरांडा गांव में 5 दिवसीय फुलायच मेले का आगाज हो गया है. मान्यताओं अनुसार, इस मेले के दौरान स्थानीय ग्रामीण अपने आराध्य देवी-देवताओं के मंदिर में इकट्ठा होते हैं और उन्हें पहाड़ों से लाकर ब्रह्म कमल अर्पित करते हैं. पढ़ें पूरी खबर.. (PHULAYACH FAIR 2023)

Phulayach fair starts in Kinnaur
किन्नौर में ऐतिहासिक फुलायच मेले का हुआ आगाज

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Oct 8, 2023, 4:49 PM IST

किन्नौर में ऐतिहासिक फुलायच मेले का हुआ आगाज

किन्नौर:प्रदेश के किन्नौर जिले में ऐतिहासिक फुलायच मेले का शुभारंभ हो गया है. दरअसल, तरांडा गांव में 5 दिनों तक चलने वाले इस मेले को फूलों का मेला फुलायच कहा जाता है. इस दौरान ग्रामीण वहां की पारंपरिक वेशभूषा पहनकर आते हैं और स्थानीय देवता के समक्ष ब्रह्म कमल समर्पित कर उनकी पूजा-अर्चना करते हैं. जानकारी के अनुसार, इस परंपराओं को निभाने के बाद तीन दिनों तक यहां पर फुलायच मेले का आयोजन किया जाता है.

दरअसल, ग्रामीण जब मंदिर प्रांगण में आते हैं तो हाथों और पीठ में ब्रह्म कमल को उठाकर स्थानीय लोक गीतों की धुनों पर नृत्य भी करते हैं और पहाड़ों की देवियों को ब्रह्म कमल उठाने के दौरान परेशान न करने पर आभार प्रकट करते हैं, मान्यताओं अनुसार, ब्रह्म कमल फूल पहाड़ों मे गुप्त देवी-देवताओं के अनाज के रूप में देखा जाता है, जिसे उठाने के लिए गांव के देवी देवताओं के अनुमति लेनी पड़ती है जो फुलायच मेले में मिलती है.

बताया जाता है कि इस दौरान पहाड़ों के देवी-देवता लोगों को इन फूलों को उठाते समय तंग नहीं करते और इन फूलों को उठाने के बाद सबसे पहले मंदिर के बड़े देवी देवताओं को समर्पित करना पड़ता है, जिसके बाद ही फूलों को गांव के ग्रामीणों को प्रसाद के रूप में दिया किया जाता है. बता दें कि तरांडा गांव में मनाए जाने वाले फुलायच मेले में पुरुष और महिलाएं किन्नौर के पारंपरिक वेशभूषा में मंदिर के अंदर लोकनृत्य कर स्थानीय देवी देवताओं को खुश करने के साथ-साथ आने वाले साल के शुभ इच्छा की कामनाएं भी करते हैं और इस मेले में गांव के ग्रामीणों के अलावा बाहरी क्षेत्रों में पढ़ाई करने वाले गांव से संबंधित छात्र-छात्राओं को भी आना अनिवार्य होता है, यदि बाहर पढ़ाई करने वाले छात्रों की परिस्थिति ठीक न हो तो इसकी सूचना भी देवी देवताओं को देनी पड़ती है.

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