किन्नौर: जिला किन्नौर में पहाड़ों से गिरने वाली चट्टानों से अब लगातार लोगों को खतरा बना हुआ है. हर वर्ष चट्टान की चपेट में आने से लोग इन पहाड़ियों से गिरने वाली चट्टानों के काल का ग्रास बन जाते हैं. दरअसल एक और मामला जनजातिय जिला किन्नौर के कल्पा खंड के तहत तांगलिंग गांव में आया है. बीती रात बुधवार को शुपालचो नामक स्थान जो बड़ी पहाड़ी है वहां से चट्टान खिसककर रिहायशी इलाके की तरफ आई, जिसके चलते तांगलिंग के ग्रामीणों के सेब के बगीचे तबाह हुए हैं.
लोगों के मकान में आई हल्की दरार
बताया जा रहा है इस जगह पर परियोजना के निर्माणाधीन कार्यो के दौरान ब्लास्टिंग के कारण चट्टानें ढीली हो गयी हैं जिसके चलते अब यहां के ग्रामीण चट्टानों के गिरने से डरे हुए हैं. वहीं, इस चट्टान के गिरने से तांगलिंग गांव के राजकृष्ण नेगी और कई अन्य लोगों के मकान में भी हल्की दरार आई है. इसके अलावा यह चट्टान कभी भी उनके घर के ऊपर आ सकता है जिसके चलते अब उन्हें और परिवार को इस मकान में रहना खतरे से खाली नहीं है. उनका कहना है कि इस पहाड़ी के पास एक विद्युत परियोजना है जो अपने निर्माणाधीन कार्यों के दौरान हेवी ब्लास्टिंग करते हैं जिसके चलते पहाड़ियों से चट्टान बर्फबारी के दौरान कच्ची होकर उनके रिहायशी मकानों तक पहुंचा है.
परियोजना के निर्माणाधीन कार्य से गिरी चट्टान
राजकृष्ण ने कहा कि इससे पूर्व भी अत्यधिक बर्फबारी में कभी भी पहाड़ों से चट्टानें नहीं खिसकी है लेकिन जैसे ही तांगलिंग के पास विद्युत परियोजना के निर्माणाधीन कार्य शुरू किए गए हैं, उसके बाद तांगलिंग गांव के रिहायशी मकानों समेत सेब के बगीचे हमेशा से खतरे में रहे हैं. राजकृष्ण और उनके परिवारजनों का कहना है कि बीती रात बर्फबारी थमने का बाद पहाड़ों से आवाजें आई. जब उन्होंने देखा तो पहाड़ो से बड़े बड़े पत्थर गिरने का सिलसिला जारी था. साथ ही सेब के बड़े-बड़े पेड़ों को चट्टान के गिरने से लाखों का नुकसान हुआ है.
डर के साए में हैं ग्रामीण