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किन्नौर: हाड़ कंपा देने वाली ठंड में सड़कों पर भटक रहे बेसहारा पशु

रिकांगपिओ में बर्फबारी में बेसहारा पशु भटक रहे हैं. ऐसे में इनको रहने के लिए न तो छत है न ही खाने को चारा. भूखे प्यासे बर्फ में भटक रहे इन बेसहारा पशुओं को अब तक प्रशासन द्वारा भी गौशाला नहीं बनाई गई है. प्रदेश युवा कांग्रेस के पूर्व सचिव कुलवंत नेगी ने कहा कि प्रशासन द्वारा इन बेसहारा पशुओं के रहने सहने पर कोई विचार मंथन नहीं किया जा रहा है.

Destitute animals in snowfall in Rekong Peo kinnaur
फोटो.

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Published : Jan 5, 2021, 7:04 PM IST

किन्नौर: जनजातीय जिला किन्नौर में लगातार बर्फबारी के कारण जिला में ठंड बढ़ गई है. ऐसे में इंसान तो अपने रहने सहने की व्यवस्था कर रहा है, लेकिन बेजुबान पशुओं का कोई नहीं. जिला के मुख्यालय रिकांगपिओ में बर्फबारी में बेसहारा पशु भटक रहे हैं. ऐसे में इनको रहने के लिए न तो छत है न ही खाने को चारा.

भूखे प्यासे बर्फ में भटक रहे इन बेसहारा पशुओं को अब तक प्रशासन द्वारा भी गौशाला नहीं बनाई गई है. इस विषय में प्रदेश युवा कांग्रेस के पूर्व सचिव कुलवंत नेगी ने कहा कि जिला किन्नौर में इस वर्ष सर्दी काफी देरी से आई है और दो दिनों से अधिक बर्फबारी शुरू हुई है.

वीडियो रिपोर्ट.

ऐसे में देखने मे आया है कि जिला किन्नौर के विभिन्न क्षेत्रों में बर्फबारी के कारण काफी ठंड भी हुई है साथ ही जिला के रिकांगपिओ में दर्जनों बेसहारा पशु ठंड में ठिठुरते हुए घूम रहे हैं.

बेसहारा पशुओं के रहने सहने पर कोई विचार मंथन नहीं

प्रशासन द्वारा इन बेसहारा पशुओं के रहने सहने पर कोई विचार मंथन नहीं किया जा रहा है. जिसके चलते इन पशुओं के ऐसी परिस्थिति में मृत्यु भी हो सकती है. कुलवंत नेगी ने कहा कि जिला किन्नौर में पिछले वर्ष भी ऐसे ही बर्फ के दौरान ठंड व भूख के कारण दर्जनों पशु सड़क किनारे मृत पाए गए थे जो आवारा कुत्तों का चारा बन गए थे.

'बेसहारा पशुओं के लिए फिलहाल अस्थाई तौर पर गौशालाएं बनाएं'

उन्होंने जिला प्रशासन से अपील करते हुए कहा कि जिला में घूमने वाले सभी बेसहारा पशुओं के लिए फिलहाल अस्थाई तौर पर गौशालाएं बनाकर उन्हें एकत्रित कर उनके चारा इत्यादि की व्यवस्था भी करें, ताकि इन बेसहारा पशुओं को ठंड के दौरान परेशानी न हो.

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