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किन्नौरी संस्कृति बचाने के लिए आयोजित होगी प्रतियोगिता, पारंपरिक गीतों को मिलेगा बढ़ावा - पारम्परिक गीत

किन्नौर के प्रभुत्व गायक, गीतकार, संगीतकारों ने जिला किन्नौर के स्थानीय लोक गायकों को एक बार किन्नौर की संस्कृति को बचाने व यहां की पारम्परिक गीतों को फिर से संजोने के लिए एक प्रतियोगिता का आयोजन कर रही है.

सागर नेगी, किन्नौरी पारम्परिक संगीतकार

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Published : Oct 8, 2019, 8:19 PM IST

किन्नौर: जनजातीय जिला किन्नौर की लुप्त होती ऐतिहासिक संस्कृति व पुराने गीतों को बचाने के लिए किन्नौर के प्रभुत्व गायक, गीतकार, संगीतकारों ने एक बीड़ा उठाया है जिसमें वे जिला किन्नौर के स्थानीय लोक गायकों को एक बार किन्नौर की संस्कृति को बचाने व यहां की पारम्परिक गीतों को फिर से संजोने के लिए एक प्रतियोगिता का आयोजन कर रही है.

किन्नौर के पारम्परिक संगीतकार सागर नेगी ने कहा कि किन्नौर की लुप्त होती संस्कृति को बचाने के लिए उन्होंने इस कदम को उठाया है, क्योंकि धीरे-धीरे अब किन्नौर में भी पाश्चात्य संस्कृति दिख रही है जिससे यहां की संस्कृति लुप्त होने के कगार पर है और किन्नौर के इतिहास को जानना है तो किन्नौर के पारम्परिक गीतों को सीखना व बचाना जरूरी है, क्योंकि किन्नौर के गीतों में किन्नौर की सारी संस्कृति छलकती है.

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संगीतकार बंटी नेगी ने भी कहा कि किन्नौर को अगर देश जनता है तो उसकी संस्कृति के लिए जानता है इसलिए हमें इसकी झलक को बनाए रखने के लिए यह ऐतिहासिक कदम उठाना पड़ा. उन्होंने कहा कि कार्यक्रम की शुरुआत 13 से 15 अक्टूबर को रिकांगपिओ में होगा और इसका अंतिम कार्यक्रम 20 अक्टूबर को होगा.

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