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बैजनाथ मंदिर में होगी 10,000 अखरोटों की बारिश, जानिए क्या है पौराणिक मान्यता - अखरोटों की बारिश

बैजनाथ के ऐतिहासिक शिव मंदिर में करीब 10 हजार अखरोटों की बारिश से पूजा अर्चना की जाएगी. यह परंपरा एक शंखासुर नामक राक्षस की पौराणिक कथा से जुड़ी हुई है और कई सालों से निभाई जा रही है.

walnut worship tradition at shiv temple baijnath

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Published : Nov 10, 2019, 2:42 PM IST

धर्मशालाः जिला कांगड़ा में बैजनाथ के ऐतिहासिक शिव मंदिर में रविवार शाम को आरती के बाद अखरोट बरसेंगे. बैकुंठ चौदस पर शिव मंदिर में करीब 10 हजार अखरोट की बारिश होती है. पौराणिक कथाओं के अनुसार शंखासुर नाम के राक्षस ने इंद्रलोक पर कब्जा कर लिया था. जिस वजह से देवता राक्षस से भयभीत होकर गुफाओं में रहने लग पड़े थे. देवताओं के पास बीज मंत्र होने पर वे राजपाठ न होने के बावजूद शक्तिशाली थे.

यह सब देख कर शंखासुर राक्षस ने देवताओं से बीज मंत्र हासिल करने का निर्णय लिया देवताओं को जब इस बात का पता चला तो देवताओं ने भगवान ब्रह्मा से मदद मांगी. तब ब्रह्मा ने शुभ सैया में सोए भगवान विष्णु से देवताओं की सहायता करने का आग्रह किया.

भगवान विष्णु ने मत्स्य रूप धारण करके शंखासुर राक्षस का वध करके देवताओं को राजपाठ वापस दिलाया इसी खुशी में मंदिर में अखरोटों की बारिश का आयोजन होता है और मंदिर में उपस्थित सैकड़ों श्रद्धालु इन अखरोट को प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं.

वहीं, मंदिर के पुजारी धर्मेंद्र और सुरेंद्र आचार्य ने बताया कि मंदिर पर स्थित मां पीतांबरी देवी की पूजा अर्चना के बाद अखरोटों की बारिश का आयोजन होगा और बाद में अखरोटों को प्रसाद के रूप में बांट दिया जाएगा.

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