हिमाचल प्रदेश

himachal pradesh

ETV Bharat / state

IHBT पालमपुर में छठे IISF-2020 के अंतर्गत 'विज्ञान यात्रा' कार्यक्रम का आयोजन - IHBT पालमपुर

सीएसआईआर-हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान, पालमपुर में छठे भारतीय अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव (आईआईएसएफ 2020) का आयोजन किया गया. इस महोत्सव के अन्तर्गत 'विज्ञान यात्रा' कार्यक्रम का ऑनलाइन एमएस-टीम केएमएस-टीम और यू-ट्यूब के माध्यम से आयोजन किया गया.

Vigyan Yatra program Organized at IHBT
Vigyan Yatra program Organized at IHBT

By

Published : Dec 5, 2020, 7:47 PM IST

पालमपुर: सीएसआईआर-हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान, पालमपुर में छठे भारतीय अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव (आईआईएसएफ 2020) का आयोजन किया गया. इस महोत्सव के अन्तर्गत 'विज्ञान यात्रा' कार्यक्रम का ऑनलाइन एमएस-टीम केएमएस-टीम और यू-ट्यूब के माध्यम से आयोजन किया गया.

इस समारोह में स्थानीय कृषि विश्वविद्यालय, स्थानीय महाविद्यालयों, विद्यालयों के अध्यापकों एवं छात्रों के अतिरिक्त संस्थान के वैज्ञानिकों, शोधार्थियों एवं कर्मियों, चाय उत्पादकों, उद्यमियों, कृषकों, स्थानीय मीडिया प्रतिनिधियों ने ऑनलाइन एमएस-टीम के माध्यम से समारोह में प्रतिभागिता की.

डॉ. संजय कुमार, निदेशक, सीएसआईआर-आईएचबीटी संस्थान पालमपुर ने समारोह में उपस्थित अतिथियों और प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए 'विज्ञान यात्रा' के महत्व के बारे में बताया.

सीएसआईआर-आईएचबीटी के शोध एवं विकास, उपलब्धियों, परिकल्पना और उद्देश्यों का संक्षेप में विवरण प्रस्तुत करते हुए, उन्हांने बताया कि संस्थान द्वारा हींग और केसर फसलों की खेती का विस्तार, आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक अग्रणी कदम होगा.

वीडियो.

हींग के पौधों को लाहौल-स्पीति और मंडी जिलों के किसानों को उपलब्ध कराया गया है. जबकि केसर की खेती को किन्नौर, मंडी और चम्बा जिलों में प्रोत्साहित किया जा रहा है. सेब के विषाणुरहित पौधों को उत्तर-पूर्व के मिजोरम और अन्य राज्यों में उपलब्ध करवा कर, वहां के किसानों की आर्थिकी को सुदृढ़ करने की दिशा में भी संस्थान ने महत्पवूर्ण भूमिका निभाई है.

इसके अतिरिक्त संस्थान द्वारा किसानों को सुगंधित फसलें उगाने के लिए प्रेरित किया तथा उनके खेतों में सगंध तेल के निष्कर्षण के लिए प्रदेश में कई आसवन इकाइयां स्थापित की गईं. हिमाचल प्रदेश इन प्रयासों से, देश भर में जंगली गेंदे के तेल का सबसे बड़ा उत्पादक बन गया है.

डॉ. संजय कुमार ने कहा किसंस्थान ने पोषण हेतु विटामिन डी से भरपूर सिटाके मशरुम, आयरन, प्रोटीन और फाइबर युक्त उत्पादों को भी विकसित किया है. सामाजिक दायित्व के अन्तर्गत, संस्थान ने रेडी-टू-ईट डिब्बा बंद खाद्य पदार्थ एवं एनर्जी और प्रोटीन युक्त बार इत्यादि को भारत में आए विभिन्न चक्रवातों से प्रभावित क्षेत्रों के पीड़ितों और कोरोना महामारी में वंचितों में वितरित किया.

पुष्पखेती को बढ़ावा देने के लिए संस्थान ने कई किस्मे विकसित कीं,जिनकी खेती से किसानों की आय में उल्लेखनीय वृद्धि हुई. संस्थान ने डब्ल्यूएचओ के दिशा निर्देशों के अनुसार अल्कोहल आधारित हैंड सैनिटाइजर एवं हर्बल साबुन की तकनीक विकसित की और स्थानीय उद्यमियों के माध्यम से व्यापक स्तर पर इसका उत्पादन करके आम लोगों को कोविड-19 से सुरक्षा प्रदान करने में भी अहम भूमिका निभाई है.

अपने संबोधन में डॉ. संजय कुमार ने संस्थान द्वारा किए जिज्ञासा कार्यक्रमों, विज्ञान मेले एवं प्रदर्शनियां, वैज्ञानिक-छात्र-अध्यापक संपर्क कार्यक्रमों, वैज्ञानिकों द्वारा स्कूलों में लोकप्रिय वैज्ञानिक संभाषणों द्वारा विज्ञान के प्रति जिज्ञासा उत्पन्न करने, किसानों एवं उद्यमियों को वैज्ञानिक तकनीकों का प्रशिक्षण जैसे प्रयासों के बारे में भी जानकारी दी.

ABOUT THE AUTHOR

...view details