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तिब्बतियों ने मनाया 64वां राष्ट्र विद्रोह दिवस, चीन के खिलाफ निकाली रैली

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Published : Mar 10, 2023, 3:59 PM IST

जिला कांगड़ा के धर्मशाला में आज तिब्बती समुदाय के लोगों द्वारा 64वां राष्ट्र विद्रोह दिवस मनाया गया और चीन की दमनकारी नीतियों के खिलाफ रैली निकाली गई.

तिब्बतियों ने मनाया 64वां राष्ट्र विद्रोह दिवस
तिब्बतियों ने मनाया 64वां राष्ट्र विद्रोह दिवस

धर्मशाला:हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में आजतिब्बती समुदाय के लोगों द्वारा 64वां राष्ट्र विद्रोह दिवस मनाया गया. इस दौरान तिब्बती समुदाय के लोगों द्वारा चीन की दमनकारी नीतियों के खिलाफ मैक्लोडगंज से लेकर धर्मशाला तक रैली निकाली गई और चीन के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की गई. सभीतिब्बती समुदाय के लोगों ने इस अवसर पर स्वतंत्रता की मांग रखी.

स्टूडेंट्स फॉर फ्री तिब्बत की नेशनल डायरेक्टर रिनझीन ने कहा कि आज वे 1959 में उस दिन को याद कर रहे है. जब साम्यवादी चीनी सरकार ने तिब्बत की राजधानी ल्हासा को एक क्रूर सशस्त्र दमन किया. यह चीन की साजिशों की एक विस्तृत श्रृंखला का एक हिस्सा था. उन्होंने कहा कि आज तिब्बत में रह रहे तिब्बतियों की चीन की दमनकारी नीतियों का सामना करना पड़ रहा और कई तरह की यातनाओं को सहना पड़ रहा है.

ऐसे में अपने देश की आजादी की जंग में विद्रोह करते हुए कई तिब्बती चीनी सेना ने मार दिए हैं. आज उन बलिदानियों को भी तिब्बती समुदाय याद कर रहा और तिब्बत में चीन की दमनकारी नीतियों का विरोध कर रहा है. उन्होंने कहा तिब्बत में चीन वहां की कला संस्कृति व ऐतिहासिक धरोहरों के साथ छेड़छाड़ करके उन्हें समाप्त कर देना चाहता है. तिब्बत में वहां के लोग नरक जैसा जीवन व्यतीत कर रहे हैं.

तिब्बत की आजादी के लिए वीर तिब्बती महिला पुरुष बलिदान दे रहे हैं उन सभी को तिब्बती राष्ट्रीय विद्रोह के दिन याद किया जाता है. वर्ष 1949 शुरुआत से तिब्बत के भूमि में प्रवेश किया अन्ततः 1950 (लोह-बाघ वर्ष) को छम-दो पर दमन द्वारा कब्जा किया गया. 1951 को साम्यवादी चीनी नेताओं ने एक तिब्बती प्रतिनिधिमंडल को 'एक सत्रह सूत्रीय संधि' पर हठ पूर्वक हस्ताक्षर करने के लिए बंधक की भांति रखा गया था.

साम्यवादी चीनी सरकार ने तिब्बत पर लंबे समय से हिंसक दमन की नीति को तिब्बतियों द्वारा धैर्य के टूटने पर विरोध प्रदर्शन के रूप में सन 2009 से लेकर आज तक अपने बहुमूल्य जीवन का बलिदान देने वाले कई देशभक्त वीर पुरुष व महिलाएं आत्मदाह कर चुके हैं. चीन सरकार के हिंसक दमन की नीति के अधीन अब भी कई तिब्बतियों का मार दिया जा रहा है.

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