हिमाचल प्रदेश

himachal pradesh

ETV Bharat / state

तहसीलदार नूरपुर ने गोद लिया ये प्राइमरी स्कूल, अब बच्चे स्मार्ट क्लासेज में करेंगे कॉम्पीटिटिव इग्जाम्स की तैयारी - Tehsildar adopted school

तहसीलदार नूरपुर गणेश ठाकुर ने गोद लिया राजकीय प्राथमिक स्कूल पन्दरेहड. स्कूल के बच्चे अब एलसीडी से सीखेंगे पढ़ाई तथा प्रतियोगिता के गुर. पांच लोगों ने ग्रामीण प्रतिभाओं को निखारने का लिया जिम्मा

तहसीलदार नूरपुर

By

Published : Sep 4, 2019, 11:37 PM IST

कांगड़ाः नूरपुर शिक्षा खंड के तहत आने वाला प्राइमरी स्कूल पन्दरेहड को बच्चों की कम संख्या के कारण 10 साल पहले बंद कर लिया गया था. स्थानीय विधायक राकेश पठानिया ने इस स्कूल को दोबारा खोलने के लिये प्रदेश सरकार से मामला उठाया था और सरकार ने गत अप्रैल माह से इस स्कूल को दोबारा खोलने का फैसला लिया.

अब नूरपुर के तहसीलदार डॉ. गणेश ठाकुर ने इस स्कूल को गोद लिया है और उन्होंने बच्चों को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिये किताबें तथा अन्य आवश्यक सामग्री उपलब्ध करवाने की जिम्मेदारी ली है. स्कूल में स्मार्ट क्लास रूम्स बनाए जा रहे हैं. जिससे बच्चों को आधुनिक तकनीक से पढ़ाई करवाई जाएगी और सैनिक स्कूल, नवोदय स्कूल और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करवाई जाएगी.

हर माह प्रतियोगी परीक्षाओं की तर्ज पर परीक्षा आयोजित करवाई जाएगी. इसके अलावा बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ खेल गतिविधियों में जोड़ने के लिए भी खेलों का सामान उपलब्ध करवाया जा रहा है वर्तमान में इस स्कूल में एक अध्यापक अपनी सेवाएं दे रहा ह. इसके अलावा स्कूल के तीन कमरों में टाइल्स और नए डेस्क लगाने की व्यवस्था की जा रही है. जिसके लिये जिला प्रशासन और निजी स्कूल प्रबंधकों ने भी हर संभव सहयोग और परामर्श का भरोसा दिया है.

इसके अतिरिक्त बच्चों को पढ़ाई के आधुनिक और बेहतर तरीकों से वाकिफ करवाने के लिये क्षेत्र के नामीग्रामी प्राइवेट स्कूलों में भ्रमण करवाने की भी व्यवस्था की जाएगी. निजी स्कूल प्रबंधकों ने बच्चों को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करवाने के लिये अपने-अपने स्कूल के अंग्रेजी तथा गणित के टीचर को हर माह एक या दो बार भेजने हेतु भी सहमति दी है.

तहसीलदार नूरपुर ने गोद लिया ये प्राइमरी स्कूल, अब बच्चे स्मार्ट क्लासेज में करेंगे कॉम्पीटिटिव इग्जाम्स की तैयारी

तहसीलदार गणेश ठाकुर का पिछड़ा जिला चंबा की पंचायत पंजही से ताल्लुक रखते हैं. उनका पालन-पोषण भी एक गरीब परिवार में हुआ है और उन्होंने गरीबी को करीब से देखा है. उनका मानना है कि आर्थिक तंगहाली व सही मार्गदर्शन न मिलने के कारण कई बार ग्रामीण क्षेत्रों में छुपी प्रतिभाओं को निखरने का सही मौका नहीं मिल पाता. उनकी शिक्षा भी जवाहर नवोदय स्कूल से हुई है, वह चाहते हैं कि इस क्षेत्र के बच्चे भी प्रतियोगी परीक्षाओं तथा खेल गतिविधियों में भाग लेकर नया मुकाम हासिल करें. सरकारी सेवा के दौरान दूसरी जगह नियुक्ति होने पर भी वह इस स्कूल के लिये अपना सहयोग जारी रखेंगे.

ABOUT THE AUTHOR

...view details