हिमाचल प्रदेश

himachal pradesh

ETV Bharat / state

आत्मनिर्भर भारत! ज्वाली के सुनील दत्त मशरूम उत्पादन से दे रहे लोगों को रोजगार

बागवानी मिशन योजना के अंतर्गत मशरूम उत्पादन व कंपोस्ट खाद (मशरूम की खाद) से स्वरोजगार शुरू कर सुनील दत्त ने मिसाल कायम की है. वहीं, उन्होंने इसके जरिए स्वरोजगार के साथ-साथ कांगड़ा जिला के ज्वाली उपमंडल के अनूही गांव के ही 25 लोगों को रोजगार प्रदान कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के घर पर ही स्वरोजगार पैदा करने के सपने को साकार कर दिखाया है.

Sunil Dutt of Jawali employs people giving from mushroom production
डिजाइन फोटो.

By

Published : Oct 10, 2020, 10:27 PM IST

धर्मशाला:केंद्र सरकार की बागवानी मिशन योजना के अंतर्गत मशरूम उत्पादन व कंपोस्ट खाद (मशरूम की खाद) से स्वरोजगार शुरू कर सुनील दत्त ने मिसाल कायम की है. सुनील दत्त आज जहां एक सफल मशरूम उत्पादक के रूप में उभरकर सामने आए हैं.

वहीं, उन्होंने इसके जरिए स्वरोजगार के साथ-साथ कांगड़ा जिला के ज्वाली उपमंडल के अनूही गांव के ही 25 लोगों को रोजगार प्रदान कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के घर पर ही स्वरोजगार पैदा करने के सपने को साकार कर दिखाया है.

वीडियो.

केंद्र सरकार के बागवानी मिशन व प्रदेश सरकार की मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना के जरिए सुनील दत्त ने लाभ उठाते हुए आज एक सफल व्यवसाई के रूप में अपनी पहचान कायम की है. सुनील आज हिमाचल प्रदेश के साथ-साथ जम्मू कश्मीर में मशरूम की सप्लाई कर अपने व्यवसाय को स्थापित कर चुके हैं. जिससे वह सालाना लाखों रुपए की आय प्राप्त कर अन्य युवाओं के लिए उदाहरण पेश कर रहे हैं.

सुनील दत्त बागवानी मिशन के तहत लगभग 42 लाख व मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना में 6 लाख का अनुदान प्राप्त कर चुके हैं. वहीं, सुनील दत्त का कहना है कि उन्होंने नौणी यूनिवर्सिटी से एमएससी हॉर्टिकल्चर में करने के बाद लगभग 6 वर्षों तक पंजाब में एक मशरूम कंपनी में बतौर मैनेजर कार्य किया.

उन्होंने कहा कि इसके उपरांत उन्होंने अपने लोगों से जुड़ने और स्वरोजगार के माध्यम से अन्य लोगों को रोजगार उपलब्ध करवाने की मन में ठान ली. सुनील ने कहा कि उन्होंने मशरूम को अपने व्यवसाय के रूप में चुना और 2012 से मशरूम के प्रोजेक्ट पर कार्य करना शुरू कर दिया और उन्होंने वर्ष 2015 से मशरूम उत्पादन का कार्य शुरू कर दिया.

उन्होंने कहा कि वह वर्तमान में कंपोस्ट खाद (मशरूम की खाद)और मशरूम उत्पादन कर रहे हैं. सुनील का कहना है कि शुरुआत में उन्होंने छोटे स्तर से मशरूम उत्पादन का कार्य शुरू किया था और धीरे-धीरे वह इसे बड़े स्तर तक ले गए.

उन्होंने कहा कि बागवानी विभाग की मदद से उन्हें मशरूम उत्पादन में लगभग 30 लाख रुपए का अनुदान प्राप्त हुआ है. जिससे उन्होंने अपने व्यवसाय को बढ़ाया है और साथ ही अनूही गांव के लगभग 25 लोगों को भी रोजगार प्रदान किया है. उन्होंने कहा कि वह अपने कर्मचारियों को प्रतिमाह 8 से 15 हजार तक वेतन प्रदान कर रहे हैं.

सुनील कुमार का कहना है कि बहुत सारे युवा नौकरी के पीछे भागते हैं, लेकिन यदि वह कृषि को सही तकनीक से करें तो वह स्वरोजगार के साथ अन्य लोगों को भी रोजगार प्रदान कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि आज मशरूम की बदौलत ही वह लाखों रुपए सालाना कमा रहे हैं और अपने परिवार का अच्छे से भरण पोषण कर रहे हैं.

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी यही सपना है कि युवा अपने क्षेत्र में ही स्वरोजगार का सृजन कर रोजगार प्राप्त करें. सुनील ने कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना के जरिए एक जेसीबी मशीन खरीदी है. जिस पर उन्हें अनुदान मिला है.

उन्होंने कहा कि युवा लोग सरकार द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं के जरिए लाभ उठाकर स्वरोजगार से जुड़ सकते हैं और दूसरों को भी रोजगार प्रदान कर सकते हैं. वहीं, अनूही गांव की रहने वाली अंजू बाला का कहना है, कि वह अपने गांव में ही लगे मशरूम के प्लांट में काम कर रही हैं और इसके जरिए वह हर महीने 8 से 10 हजार रुपए कमा रही हैं और अच्छे तरीके से अपने परिवार का पालन पोषण कर रही है.

उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी में भी उन्हें इस मशरूम प्लांट के जरिए रोजगार मिलता रहा. अंजू का कहना है कि उनके साथ-साथ उनके गांव की अन्य महिलाएं व पुरुष भी मशरूम उत्पादन के जरिए अच्छी आय अर्जित कर रहे हैं और अपने परिवार का पालन पोषण बेहतर तरीके से कर रहे है.

वहीं, मशरूम प्लांट में कार्य कर रही रेखा देवी का कहना है कि उन्हें घर द्वार पर ही रोजगार प्राप्त हो रहा है, और वह महीने में 8 से 10 हजार रुपए कमा लेती है. उन्होंने कहा कि मशरूम का कार्य सीख कर अपना व्यवसाय शुरू कर सकती है.

रक्षा देवी का कहना है कि उनके दो बच्चे हैं और उनके पति अपंग है. जिससे उन्हें घर का खर्चा चलाने में दिक्कत है आ रही थी. उन्होंने कहा कि घर के नजदीक रोजगार मिलने से वह महीने में 10 हजार रुपए आय कर पा रही हैं. जिससे उनके परिवार का पालन पोषण बेहतर तरीके से हो पा रहा है.

अनूही गांव के ही युवा अश्वनी कुमार का कहना है कि वह एक कॉलेज छात्र हैं और साथ में मशरूम का कार्य कर वह अपने परिवार का हाथ बंटा रहे. उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी में भी उन्हें घर के पास ही कार्य उपलब्ध था. जिससे उन्हें काम करने के लिए कहीं और नहीं जाना पड़ा.

उन्होंने कहा कि भविष्य में इस कार्य को सीख कर इसी में ही स्वरोजगार का प्रयास करेंगे. श्रवण कुमार का कहना है कि जब से उनके गांव में मशरूम उत्पादन का काम शुरू हुआ है, तब से उन्हें घर पर ही रोजगार प्राप्त हो गया है. जिससे वह आसानी से महीने में 12 हजार तक कमा रहे हैं और अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं.

उन्होंने कहा कि मशरूम उत्पादन के चलते गांव के कई लोगों को रोजगार प्राप्त हो रहा है. वहीं, उद्यान विभाग के विषय विशेषज्ञ डॉक्टर संजय गुप्ता का कहना है कि विभाग द्वारा मशरूम उत्पादन के साथ लोगों को जोड़ा गया है. जिससे वह स्वरोजगार प्राप्त करने के साथ-साथ अन्य लोगों को भी रोजगार दे सके.

उन्होंने कहा कि उद्यान विभाग द्वारा जिला कांगड़ा में प्रत्येक विकासखंड में 30 बागवानों को इस योजना का लाभ दिया जा चुका है. डॉ. गुप्ता ने कहा कि बागवानों को मशरूम उत्पादन की इकाई स्थापित करने व कंपोस्ट खाद बनाने के लिए विभाग द्वारा 8-8 लाख का अनुदान और लैब स्थापित करने के लिए 6 लाख तक का अनुदान दिया जा रहा है.

उन्होंने कहा कि वर्तमान में जिला कांगड़ा में लगभग पांच खाद बनाने की इकाइयां स्थापित की गई है और एसी संचालित 30 प्रोडक्शन हाउस स्थापित किए जा चुके हैं. उन्होंने कहा कि इस वर्ष भी उद्यान विभाग द्वारा 15 बागवानों को अनुदान का निष्पादन किया जाएगा.

डॉ. गुप्ता ने कहा कि उद्यान विभाग द्वारा बागवानी विकास परियोजना व मिशन फॉर इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट ऑफ हॉर्टिकल्चर स्कीम के तहत एक हजार रुपए से लेकर 4 करोड़ का अनुदान दिया जा सकता है. उन्होंने कहा कि स्वावलंबन की ओर बढ़ रहे युवा इन योजनाओं का लाभ लेकर स्वरोजगार प्राप्त कर सकते हैं.

ABOUT THE AUTHOR

...view details