कांगड़ा: जिले में बीते दिनों हुई बारिश से अब तक 10 लोगों की मौत हो गई. कई पशु भी मलबे में दबकर मर गए. लोगों के मकान और दुकान बह गए. मलबे में लोगों की गाड़ियां तिनके की तरह पानी में बह गईं. सरकार को बरसात के मौसम की स्थिति का पता था. सरकार जानती थी कि इस मौसम में हिमाचल कैसी परिस्थितियों से गुजरता है तो क्यों पहले से ही रेस्क्यू टीमों को मौसम विभाग की चेतावनी (Meteorological department alert) पर अलर्ट नहीं किया गया. सरकार ने एनडीआरएफ या एसडीआरएफ को स्टैंड बाय पर क्यों नहीं रखा. सरकार और प्रशासन की नींद इस मलबे के बोझ से पहले क्यों नहीं टूटी.
क्यों मौसम विभाग की चेतावनी को हल्के में लिया. अगर इंतजाम सही होते तो मुख्यमंत्री को हवाई सर्वे करने की नहीं जरूरत पड़ती और जानमाल का नुकसान भी नहीं होता. बारिश तबाही के अनगिनत निशान छोड़कर जा चुकी है और प्रशासन और सरकार सहानुभूति की टोकरी लेकर अब मैदान पर उतरा है.
धर्मशाला में तेज बारिश होना आम सी बात है, ये देश के उन चुनिंदा स्थानों में से एक हैं जहां सबसे अधिक बारिश होती है, लेकिन सोमवार को धर्मशाला में ऐसा जलतांडव हुआ ऐसा ना पहले कभी हुआ था. ना कभी लोगों ने देखा था. जहां देखो बस पानी पानी था. कोई नदी नाला ऐसा नहीं था जिसने रौद्र रूप धारण ना किया हो. छोटी-छोटी नालियां भी बड़े नालों में बदल चुकी थीं. सड़कों पर चलने वाली गाड़ियां तिनकों की तरह पानी में बह रही थीं.
बारिश का ऐसा तांडव हुआ कि लोगों के पक्के मकान भी तिनके की तरह पानी में बह गए. लोग बेबस और लाचार किनारे पर खड़े होकर अपने जीवन भर की कमाई को पनी बहाता देखते रहे. कुछ लोगों को तो बारिश में संभलने का मौका भी मिल गया, लेकिन कुछ लोगों तो घरों से बाहर भी नहीं निकल पाए. आधा दर्जन से अधिक लोग और पशु सैकड़ों टन मलबे के नीचे अभी दबे हुए हैं. कई शव बरामद किए जा चुके हैं.
तीसरे दिन भी जिंदगी की तलाश मलबे के ढेर में जारी है. एनडीआरएफ की टीमें मलबे में दबे लोगों की इस उम्मीद में तलाश कर रही हैं कि शायद हजारों टन मलबें की नीचे अभी भी किसी की सांसें चल रही हों. स्थानीय लोग भी एनडीआरएफ की मदद कर रहे हैं. अब तक मलबे से 10 शव बरामद किए गए हैं. सबसे ज्यादा शव शाहपुर की बोह गांव से बरामद किए गए हैं. इस तबाही में कई परिवारों के लोगों का कोई सुराग नहीं मिल पा रहा है.