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SPECIAL: आजादी से पहले का है मशहूर कांगड़ा चाय का इतिहास, चीन से लाए गए थे बीज - कांगड़ा चाय का इतिहास

हिमाचल की कांगड़ा चाय अपने स्वाद के लिए बहुत मशहूर है. कांगड़ा चाय के बेहतर स्वाद और खुशबू के कारण इसका निर्यात यूरोप और एशिया के कुछ देशों में होता है.

kangra tea
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Published : Mar 17, 2020, 11:33 PM IST

पालमपुर: देश हो या विदेश लगभग हर शख्स को सुबह आंखें खोलने के लिए चाय की चुस्की जरूर चाहिए. जिस तरह से केरल के मुन्नार की चाय अपने स्वाद लिए जानी जाती है, उसी तरह हिमाचल की कांगड़ा चाय अपने स्वाद के लिए प्रसिद्ध है. जिला कांगड़ा के पालमपुर शहर को चाय नगरी के नाम से भी जाना जाता है.

कांगड़ा चाय बागान

कांगड़ा चाय के बेहतर स्वाद और खुशबू के कारण इसका निर्यात यूरोप और एशिया के कुछ देशों में होता है. आपको बता दें कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका दौरे पर गए थे तो उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से व्हाइट हाउस में मुलाकात के समय कांगड़ा चाय को उपहार में दिया था. पूरी दुनिया में उस समय विश्व प्रसिद्ध कांगड़ा चाय की चर्चा हुई थी. पालमपुर और मुन्नार का एक समान इतिहास है. दोनों स्थानों पर चाय बागान को अग्रेजों द्वारा शुरू किया गया था.

कांगड़ा चाय बागान

पालमपुर चाय के इतिहास की बात करें तो इस क्षेत्र में चाय बागान की शुरुआत डॉ. जेमिसन, जो उत्तर-पश्चिम सीमांत प्रांत में बॉटनिकल गार्डन के अधीक्षक थे, उनके द्वारा किया गया. चाय के बीज को अंग्रेजों द्वारा चीन से लाया गया था. 1850 में कांगड़ा चाय की खेती शुरू हो गई थी. पालमपुर की तरह ही केरल के मुन्नार में चाय को लगाया था.

कांगड़ा चाय

कांगड़ा चाय की खेती की बात करें तो वर्तमान में 2300 हेक्टेयर में इसकी खेती होती है. कांगड़ा में ये 2100 हेक्टेयर, मंडी में 200 और चंबा के भटियात में केवल 6 हेक्टेयर में चाय उगाई जा रही है और लगभग 400 बागान मालिक हैं. इनमें से भी ज्यादातर उत्पादन क्षेत्र चुनिंदा बागान मालिकों के पास है जबकि अन्य छोटे और मध्यम चाय उत्पादकों के पास छोटे-छोटे टुकड़े चाय बागान के हैं.

वीडियो रिपोर्ट.

आपको बता दें कि कांगड़ा चाय का कारोबार 20 करोड़ का है और 6 हजार लोगों को इससे रोजगार मिला है. इसके साथ ही जर्मनी, फ्रांस, पाकिस्तान और अफगानिस्तान सहित अन्य देशों को कांगड़ा चाय का निर्यात हो रहा है.

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