हिमाचल प्रदेश

himachal pradesh

ETV Bharat / state

इस मंदिर में खुद-ब-खुद होता है भगवान भोले का 'अभिषेक', गुफा की खोज को लेकर ये है मान्यता - etv bharat

कांगड़ा में स्थित है जलधारी भोले शंकर का मंदिर. पालमपुलर से 5 किलोमीटर दूर क्यारवा नामक स्थान पर है भोले बाबा का मंदिर.

शिव मंदिर

By

Published : Mar 21, 2019, 6:06 AM IST

धर्मशालाः देवभूमि के नाम से मशहूर हिमाचल अपने भीतर अनेकों तरह की संस्कृतियां समेटे हुए है. पहाड़ों के बीच बसा हिमाचल अपनी खूबसूरती और देवी-देवताओं की भूमि की लिए पूरी दुनिया में जाना जाता हैं. सूबे में हजारों ऐतिहासिक और प्राचीन मंदिर है जिनके दर्शन करने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु यहां आते हैं.

कांगड़ा जिले में देवी-देवताओं की भरमार है. जिले के हर कोने में ऐतिहासिक और प्राचीन मंदिर हैं. कांगड़ा जिले के पालमपुर से लगभग धर्मशालाः देवभूमि के नाम से मशहूर हिमाचल अपने भीतर अनेकों तरह की संस्कृतियां समेटे हुए है. पहाड़ों के बीच बसा हिमाचल अपनी खूबसूरती और देवी-देवताओं की भूमि की लिए पूरी दुनिया में जाना जाता हैं. सूबे में हजारों ऐतिहासिक और प्राचीन मंदिर है जिनके दर्शन करने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु यहां आते हैं.

shiv temple

कांगड़ा जिले में देवी-देवताओं की भरमार है. जिले के हर कोने में ऐतिहासिक और प्राचीन मंदिर हैं. कांगड़ा जिले के पालमपुर से लगभग 35 किलोमीटर दूर क्यारवा में भगवान शिव का मंदिर है जो जलाधारी के नाम से प्रसिद्ध है.
इस शिवलिंग पर हमेशा जलाभिषेक होता है, इसलिए इसे जलाधारी महादेव के नाम से जाना जाता है. एक गुफा में मौजूद इस शिवलिंग तक पहुंचने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है. यहां महाकाल को साक्षात देखा जा सकता है. शेष नाग के प्रमाण भी यहां पर मिलते हैं.
जलाधारी महादेव की क्या है अवधारणा
मंदिर के पुजारी शांति गिरी ने बताया कि मान्यता है कि इस पहाड़ी में शिव मंदिर था. जिस पर महादेव के ऊपर कुदरती रूप से 24 घंटे दूध की धारा बहती रहती थी, लेकिन एक दिन कुछ चरवाहों ने दूग्ध धारा से दूध लेकर खीर बना ली ओर फिर दो-तीन दिन बिना शुद्धता के ही दूध का प्रयोग किया गया. उसके बाद से ही महादेव पर कुदरती रूप से चढ़ने वाला दूध जल में परिवर्तित हो गया.
गुफा के बारे में इस तरह हुई जानकारी
पुजारी शांति गिरी बताते हैं कि मान्यता है कि एक चरवाहे का जानवर इस गुफा में जा घुसा था. जिसके पीछे-पीछे चरवाहा भी गुफा में चला गया. शिव और शिवलिंग दर्शन के बाद चरवाहे ने कहा कि महादेव मैं अब आपकी शरण में रहूंगा. चार साल बाद उसने महादेव से अपने घर जाने की इजाजत मांगी. महादेव ने इजाजत देने के बाद एक शर्त रखी कि अगर तुमने इस स्थान के बारे में किसी को बताया तो तुम्हारी मौत हो जाएगी.
इसके बाद चरवाहा घर लौट आया. उसने देखा कि उसकी मां उसके वियोग में अंधी हो गई है. इस दौरान जैसे ही उसने मां के सर पर हाथ रखा तो उसकी आंखों की रोशनी लौट आई. एक दिन पत्नी के बार-बार पूछने पर चरवाहे ने सारी कहानी बता दी इसके बाद उसकी मौत हो गई.
गुफा में जाना काफी मुश्किल
इसके बाद लोगों को इस गुफा के बारे में पता चला और यहां भक्तों की आवाजाही बढ़ गई. माना जाता है कि शिव के आदेश के अनुसार, शेषनाग ने गुफा का मुख छोटा कर दिया है. इस कारण अंदर प्रवेश करना काफी मुश्किल होता है.
में भगवान शिव का मंदिर है जो जलाधारी के नाम से प्रसिद्ध है.

इस शिवलिंग पर हमेशा जलाभिषेक होता है, इसलिए इसे जलाधारी महादेव के नाम से जाना जाता है. एक गुफा में मौजूद इस शिवलिंग तक पहुंचने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है. यहां महाकाल को साक्षात देखा जा सकता है. शेष नाग के प्रमाण भी यहां पर मिलते हैं.

जलाधारी महादेव की क्या है अवधारणा
मंदिर के पुजारी शांति गिरी ने बताया कि मान्यता है कि इस पहाड़ी में शिव मंदिर था. जिस पर महादेव के ऊपर कुदरती रूप से 24 घंटे दूध की धारा बहती रहती थी, लेकिन एक दिन कुछ चरवाहों ने दूग्ध धारा से दूध लेकर खीर बना ली ओर फिर दो-तीन दिन बिना शुद्धता के ही दूध का प्रयोग किया गया. उसके बाद से ही महादेव पर कुदरती रूप से चढ़ने वाला दूध जल में परिवर्तित हो गया.

गुफा के बारे में इस तरह हुई जानकारी
पुजारी शांति गिरी बताते हैं कि मान्यता है कि एक चरवाहे का जानवर इस गुफा में जा घुसा था. जिसके पीछे-पीछे चरवाहा भी गुफा में चला गया. शिव और शिवलिंग दर्शन के बाद चरवाहे ने कहा कि महादेव मैं अब आपकी शरण में रहूंगा. चार साल बाद उसने महादेव से अपने घर जाने की इजाजत मांगी. महादेव ने इजाजत देने के बाद एक शर्त रखी कि अगर तुमने इस स्थान के बारे में किसी को बताया तो तुम्हारी मौत हो जाएगी.

इसके बाद चरवाहा घर लौट आया. उसने देखा कि उसकी मां उसके वियोग में अंधी हो गई है. इस दौरान जैसे ही उसने मां के सर पर हाथ रखा तो उसकी आंखों की रोशनी लौट आई. एक दिन पत्नी के बार-बार पूछने पर चरवाहे ने सारी कहानी बता दी इसके बाद उसकी मौत हो गई.

गुफा में जाना काफी मुश्किल
इसके बाद लोगों को इस गुफा के बारे में पता चला और यहां भक्तों की आवाजाही बढ़ गई. माना जाता है कि शिव के आदेश के अनुसार, शेषनाग ने गुफा का मुख छोटा कर दिया है. इस कारण अंदर प्रवेश करना काफी मुश्किल होता है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details