पालमपुर:सुलह विधानसभा क्षेत्र (Sulah assembly constituency) में हिमाचल सरकार की शिक्षा नीति के दावे हवा हवाई साबित होते नजर आ रहे हैं. क्षेत्र के 4 प्राइमरी स्कूलों में बड़े-बड़े स्कूल भवनों में बच्चे तो हैं,लेकिन अध्यापक नहीं. (Shortage of teachers in government schools)सरकारी अध्यापकों की नई भर्तियां नहीं होने के चलते कई स्कूलों में अध्यापकों की कमी के चलते पढ़ाई प्रभावित हो रही, जबकि, कई स्कूलों में डेपुटेशन पर अध्यापक लगाए गए हैं. हालात यह हो गए कि किसी स्कूल में एक शिक्षक तो किसी में तीन बच्चों पर दो अध्यपाक हैं.
प्राइवेट स्कलों में डालने पर मजबूर अभिभावक:अभिभावकों का यह भी कहना है कि यदि हालात ऐसे ही रहे, तो उन्हें अपने बच्चों को सरकारी स्कूल (Government schools of Himachal) से निकाल कर प्राइवेट स्कूल में डालने पड़ेगा. हिमाचल प्रदेश में शिक्षा नीति इन दिनों सवालों के घेरे में है. क्योंकि सरकार शिक्षा को सुदृढ़ करने की बात तो कह रही, लेकिन जमीनी हकीकत बिल्कुल इसके उलट है. सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की तादाद कम हो रही और दिन प्रतिदिन प्राइवेट स्कूलों में बच्चों के एडमिशन का ग्राफ भी बढ़ता जा रहा. जिसका सबसे बड़ा कारण सरकारी स्कूलों में अध्यापकों का न होना है.
सुहल विधानसभा क्षेत्र के स्कूलों में शिक्षकों की कमी. एक अध्यापिका और 4 बच्चे:जस्सू प्राइमरी स्कूल में तो एक अध्यापिका और 4 बच्चे हैं. स्कूल को अध्यापिका ही खोलती हैं और कभी कभार मिड डे मील वर्कर अध्यापिका की सहायता कर देती है. वहीं, सुलह के ही गरला प्राइमरी स्कूल की बात करें, तो अभी स्कूल में 35 बच्चे पढ़ते. जबकि पहले स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या 60 के करीब थी. लेकिन यहां पर तैनात महिला अध्यापक का ट्रांसफर हो गया था. अध्यापिका के यहां से चले जाने के बाद स्कूल बिना अध्यापक के ही चल रहा था. जिसके चलते कई लोगों ने अपने बच्चों को सरकारी स्कूल से निकाल कर प्राइवेट स्कूल में डाल दिया.
अध्यपकों की भर्तियां नहीं:वहीं, जब स्कूल में नई अध्यापिका को रखा गया, तब तक 30 बच्चे स्कूल छोड़ चुके थे. अब यहां पर 35 बच्चों के लिए एक अध्यापक और वो भी डेपुटेशन पर भेज गया, ऐसे में सवाल यह खड़ा होता है कि एक अकेला अध्यापक आखिर कितनी कक्षाओं के बच्चों को पढ़ाए. अध्यापकों का कहना है कि उनके लिए यह मुश्किल भरा काम ,क्योंकि एक ही अध्यापक को अकेले पूरा स्कूल संभालना पड़ रहा है. हैरानी की बात तो यह है कि इन सभी स्कूलों की दूरी एक दूसरे से 1 से डेढ़ किलोमीटर की है. वहीं, खंड शिक्षा अधिकारी रमेश कुमार ने बताया कि सरकारी अध्यापकों की नई भर्तियां नहीं होने के चलते स्कूलों में स्टाफ की कमी हो रही है.
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