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हिमाचल के मंदिरों में शिवरात्रि की धूम, भगवान शिव के धाम बैजनाथ पहुंचे हजारों श्रद्धालु

आज शिवरात्रि का पर्व है और इसे पूरे देशभर में धूमधाम से मनाया जा रहा है. देवभूमि हिमाचल में भी इस पर्व के मौके पर सुबह तड़के से ही शिवालयों में भक्तों का तांता लगा हुआ है.

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Published : Mar 4, 2019, 5:14 PM IST

बैजनाथ

धर्मशालाः आज शिवरात्रि का पर्व है और इसे पूरे देशभर में धूमधाम से मनाया जा रहा है. देवभूमि हिमाचल में भी इस पर्व के मौके पर सुबह तड़के से ही शिवालयों में भक्तों का तांता लगा हुआ है. सुबह से ही श्रद्धालु हर-हर महादेव और बम-बम के जयकारों से मंदिरों में दर्शन करने आ रहे हैं.

उत्तर भारत के विश्व प्रसिद्ध शिव मंदिर बैजनाथ में भी सुबह से ही भक्तों की कतारें लगना शुरू हो गई थी. वहीं, मंदिर प्रशासन के मुताबिक इस बार भोलेनाथ के दर्शनों के लिए 75 हजार से एक लाख तक की संख्या में श्रद्धालुओं के पहुंचने का अनुमान है.

मंदिर प्रशासन ने यहां पहुंचने वाले श्रद्धालुओं के लिए सभी तरह की व्यवस्थाएं कर ली हैं ताकि कोई चूक न हो. बता दें कि बैजनाथ शिव मंदिर कांगड़ा जिले में है. मान्यता है कि इस मंदिर का इतिहास त्रेता युग के समय लंका के राजा रावण से जुड़ा है.

कथाओं के मुताबिक त्रेता युग में लंका के राजा रावण ने कैलाश पर्वत पर शिव के नियमित तपस्या की कोई फल न मिलने पर घोर तपस्या आरंभ कर दी . अंत में उसने अपना एक-एक सिर काट कर हवन कुंड में आहुति देकर शिव को अर्पित करना शुरू किया दूसरा और अंतिम सिर कट जाने से पहले शिव जी ने प्रसन्न होकर रावण का हाथ पकड़ लिया उसके सभी सर पुनः स्थापित कर शिव ने रावण को वर मांगने को कहा.

रावण ने भगवान शिव से कहा कि मैं आपके शिवलिंग को लंका में स्थापित करना चाहता हूं आप दो भागो मैं अपना स्वरूप दे और मुझे अत्यंत बलशाली बना दें, भगवान शिव ने रावण की इस बात को मानते हुए अपने शिवलिंग स्वरूप दो चिन्ह रावण को दिए. साथ ही ये हिदायत भी दी की वो इन्हें जमीन पर ना रखे.

वहीं, रावण दोनों शिवलिंग को लेकर लंका को चला गया. रास्ते में गोकर्ण क्षेत्र जो कि अब बैजनाथ है, वहां पहुंचने पर रावण को लघु शंका का अनुभव हुआ. वहीं, उसने बेजु नाम के एक गवाले को सब बात समझाकर शिवलिंग पकड़ा दिए और शंका निवारण के लिए चला गया. शिव जी की माया के कारण बेजु शिवलिंगों के भार को अधिक देर तक ना सह सका और उन्हें धरती पर रख कर अपने पशु चारने चला गया.

इस तरह दोनों शिवलिंग स्थापित हो गए. जिसे मंजूषा में रावण ने दोनों शिवलिंग रखे थे उस मंजूषा के सामने जो शिवलिंग था चंद्रभाल के नाम से प्रसिद्ध हुआ और जो पीठ की ओर तब वैजनाथ के नाम से जाना गया मंदिर के प्रांगण में कुछ छोटे-छोटे मंदिर है और नंदी बैल की मूर्ति है नंदी के कान में भक्तगण अपनी मनत मांगते है.

हर साल मन्दिर में शिवरात्रि के दौरान मन्दिर को फूलों से सजया जाता है और मन्दिर में इस दिन श्रद्धालुओं की सख्या भी बहुत अधिक होती है. वहीं, हवन की व्यवस्था भी की जाती है. मन्दिर कमेटी के सदस्य का कहना है की मंदिर को फूलों द्वारा सजया गया है.

वहीं, बैजनाथ मन्दिर के पंडित सुरेंद्र कुमार शर्मा ने कहा कि शिवरात्रि के दौरान सुबह दिनचर्या के दौरान पूजा की जाती है और शाम के दौरान रुद्राभिषेक किया जाता है. वही 108 प्रकार के मिष्ठानों का भोग लगेगा. उन्होंने कहा कि 5 दिनों तक लगातार भगवान शिव की पूजा की जाती है. वहीं, मंदिर में 5 दिन के लिए महरुद्री यज्ञ हो रहा है और यह 5 दिन तक चलेगा. उन्होंने कहा कि यघ्य विश्व शान्ती ओर देश में शान्ती के लिए यह किया जा रहा है.

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