धर्मशाला:हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार का आज 87वां जन्मदिन है. हालांकि, शांता कुमार इस बार अपना जन्मदिन नहीं मनाएंगे. शांता कुमार ने ये फैसला कोरोना संकट काल को देखते हुए लिया है. वे इस बार अपने जन्मदिन पर किसी तरह के बड़े कार्यक्रम का आयोजन न करके इसे सादे तरीके से मनाएंगे.
जिला कांगड़ा के गढ़जमूला में 12 सितंबर 1934 को जगन्नाथ शर्मा और कौशल्या देवी के घर शांता कुमार का जन्म हुआ था. उन्होंने प्रांरभिक शिक्षा के बाद जेबीटी की पढ़ाई की. उसके बाद स्कूल में शिक्षा देने लग पड़े, लेकिन आरएसएस में मन लगने की वजह से दिल्ली चले गए. वहां जाकर संघ का काम किया और ओपन यूनिवसर्सिटी से वकालत की डिग्री की.
राजनीतिक करियर की शुरूआत
पंच के चुनाव से राजनीति की शुरुआत की थी. शांता कुमार 1963 में पहली बार गढ़जमूला पंचायत से जीते थे. उसके बाद वह पंचायत समिति के भवारना से सदस्य नियुक्त किये गए. कांगड़ा जिले के1965 से 1970 तक जिला परिषद के भी अध्यक्ष रहे.
जेल भी गए
सत्याग्रह और जनसंघ के आंदोलन में भी शांता कुमार ने भाग लिया. इस दौरान उन्होंने जेल की हवा भी खाई. शांता कुमार ने पहला चुनाव 1971 में पालमपुर विधानसभा से लड़ा और कुंज बिहारी से करीबी अंतर से हार गए . एक साल बाद प्रदेश को पूर्ण राज्य का दर्जा मिल गया और 1972 में फिर चुनाव हुए. शांता कुमार ने यह चुनाव खेरा विधानसभा से लड़ा और चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे.
मुख्यमंत्री बनने के बाद 1992 में गिरी बीजेपी सरकार
आपातकाल के बाद 1977 में विधानसभा चुनाव होने पर जनसंघ की सरकार बनी. शांता कुमार ने सुलह विधानसभा से चुनाव लड़ा और फिर प्रदेश के मुखिया बने, लेकिन सरकार का कार्यकाल पूरा नहीं कर सके. इसके बाद 1979 में पहली बार कांगड़ा लोकसभा के चुनाव जीते और सांसद बने. 1990 में वह फिर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने, लेकिन 1992 में बाबरी मस्जिद घटना के बाद हिमाचल में बीजेपी सरकार को बर्खास्त कर दिया और शांता कुमार एक बार फिर अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके.
केंद्र में भी बने मंत्री
अटल बिहारी वाजपेयी की केंद्र की सरकार में वह खाद व उपभोक्ता मामले के मंत्री बने. इसके बाद 1999 से 2002 तक वाजपेयी सरकार में ग्रामीण विकास मंत्रायल के मंत्री रहे. वहीं, 2014 में भी कांगड़ा, चंबा लोकसभा सीट के सांसद रहे. राज्य सभा में भी शांता कुमार 2008 के लिए नियुक्त रह चुके है.