धर्मशाला: दिल्ली में नेताओं के सरकारी आवास खाली करने पर शांता कुमार ने रोष व्यक्त किया है. शांता ने कहा कि अखबारों में जिन मकान खाली न करने वाले नेताओं को लिस्ट छपी है, उसे देखकर मैं बड़ा हैरान हूं. मेरा नाम उस लिस्ट में लिखा गया है, जबकि 24 मई को मैं अपनी पत्नी के साथ दिल्ली चला गया था और सारा सामान समेटकर 22 जून को पालमपुर आ गया. आवास खाली करने की अंतिम तिथि 25 जून है, लेकिन मैंने 3 दिन पहले ही आवास खाली कर दिया है. इसके बावजूद भी मेरा नाम लिस्ट में है.
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शांता कुमार ने कहा कि वे राज्यसभा और लोकसभा में 18 साल, विधानसभा में 15 साल तक रहे हैं. कुल 33 साल मैंने मुख्यमंत्री से लेकर केंद्रीय मंत्री, विधायक और सांसद की जिम्मेदारी निभाई है. उन्होंने कहा कि कई दफा आवास में आया और कई बार आवास छोड़ने पड़े. उन्होंने कहा कि हर बार समये से पहले ही उन्होंने आवास खाली कर दिया है लेकिन हैरानी है कि इस बात की है कि लिस्ट में उनका नाम रख दिया गया है, जबकि वे शान से पद छोड़ना जानते हैं.
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गौर रहे कि खबर छपी थी कि बीजेपी के वरिष्ठ नेता या पूर्व नेता दिल्ली में अपना आवास नहीं छोड़ रहे. लंबे समय से कई नेता दिल्ली के सरकारी आवास में रह रहे हैं. लेकिन अब उन्हें सरकार आवास देगी या नहीं. खबर में ये भी कहा गया था कि अंतिम तिथि निकल गई है और नेता उन्हीं मकानों में रह रहे हैं. इस पर सरकार भी असमंजस में हैं और कुछ नहीं कर पा रही है.