धर्मशाला: कांगड़ा जिले के शक्तिपीठों में नवरात्रों पर देश-विदेश के श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है, जिसको देखते हुए मंदिर प्रशासनों की ओर से भी व्यापक तैयारियां की जा रही हैं. इसी कड़ी में श्री चामुंडा नंदीकेश्वर धाम में 22 से 30 मार्च तक मनाए जाने वाले नवरात्र उत्सव के दौरान 31 विद्वान पंडित विभिन्न अनुष्ठान करेंगे. मंदिर सहायक आयुक्त एवं एसडीएम धर्मशाला शिल्पी बेक्टा ने बताया कि नवरात्रों के दौरान मंदिर में सतचंडी पाठ, रुद्राभिषेक पाठ, गायत्री पाठ, भागवत कथा का आयोजन किया जाएगा.
अष्टमी की रात शास्त्रीय संगीत का आयोजन होगा, जबकि नवमी को नवरात्रों के दौरान रखे गए पाठ की पूर्णाहुति डाली जाएगी. श्री चामुंडा नंदीकेश्वर धाम के साथ आदि हिमानी चामुंडा मंदिर में भी इस तरह से अनुष्ठान किए जाएंगे, जिसके लिए पुजारी सहित 3 लोगों की टीम मंदिर में भेजी गई है. नवरात्रों के दौरान चामुंडा मंदिर में सुरक्षा व्यवस्था हेतू जिला पुलिस से एडिशनल सिक्योरिटी की मांग की गई है. नवरात्रों के चलते हर गतिविधि पर नजर रखने के लिए 14 सीसीटीवी कैमरे इंस्टॉल किए जाएंगे, जबकि मंदिर परिसर में पहले से इंस्टॉल सीसीटीवी कैमरों के अतिरिक्त होंगे.
श्री बज्रेश्वरी माता मंदिर:श्री बज्रेश्वरी माता मंदिर जिसे कांगड़ा देवी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, एक हिंदू मंदिर है, जो हिमाचल के कांगड़ा में स्थित है. माता बज्रेश्वरी देवी मंदिर को नगर कोट की देवी व कांगड़ा देवी के नाम से भी जाना जाता है और इसलिए इस मंदिर को नगर कोट धाम भी कहा जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी सती के पिता दक्षेस्वर द्वारा किए यज्ञ कुंड में उन्हें न बुलाने पर उन्होंने अपना और भगवान शिव का अपमान समझा था और उसी हवन कुंड में कूदकर अपने प्राण त्याग दिये थे. तब भगवान शंकर देवी सती के मृत शरीर को लेकर पूरे ब्रह्माण्ड के चक्कर लगा रहे थे. उसी दौरान भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर को 51 भागों में विभाजित कर दिया था और उनके ऊग धरती पर जगह-जगह गिरे. जहां उनके शरीर के अंग गिरे वहां एक शक्तिपीठ बन गया. उसमें से सती की बायां वक्षस्थल इस स्थान पर गिरा था, जिसे मां ब्रजेश्वरी या कांगड़ा माई के नाम से पूजा जाता है.